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९. श्री आदीश्वर अंतरजामी
(राग : अंतरजामी सुण अलवेसर) श्री आदीश्वर अंतरजामी जीवन जगत आधार, शांत सुधारस ज्ञाने भरियो सिद्धाचल शणगार, रायणरूडी रे जीहां प्रभु पाय धरे(२) विमलगिरि वंदो रे देखत दुःख हरे(२) पुण्यवंता प्राणी रे प्रभुजीनी सेवा करे. गुण अनंता गिरिवर केरा सिद्धा साधु अनंता(२) वली रे सिद्धशे वार अनंती एम भाखे भगवंता(२) भवोभव केरा रे पातिक दूर टले. वावडीयु रस कुंपा केरी मणि माणेकनी रे खाण(२) रत्लखाण बहु राजे हो तीरथ एहवी श्री जिनवाणी(२) सुखना स्नेही रे बंधन दूर करे. पांच कोडीशुं पुंडरिक सिध्या त्रण कोडीशुं राम(२) वीश कोडीशुं पांडव मुक्ति सिद्धक्षेत्र सिद्धधाम(२) मुनिवर मोटां रे अनंता मुक्ति वरे. ऐसो तीरथ और न जगमें भाखे श्री जिनभाण(२). दुर्गति कापे ने पार उतारे व्हालो आपे केवलनाण(२) भविजन भावे रे जे एन ध्यान धरे. द्रव्य भावशुं पूजा करता पूजे श्री जिनपाय(२) चिदानंद सुख आतम वेदी ज्योति से ज्योति मिलाय(२) किर्ती एहनी रे माणेकमुनि करे.
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