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सुरवर मुनिवर जीनके चरणे निशदिन शिश झुकाते है, जो गाते है प्रभुकी महिमा वो सबकुछ पा जाते है, अपने कष्ट मीटाने को तेरे चरणो में वंदन होगा. तुमने तारे लाखों प्राणी यह संतों की वाणी है, तेरी छबी पर मेरे भगवन् यह दुनिया दिवानी है, झुमझुम तेरी पूजा रचाउं जीवन में मंगल होगा, तीन लोक का स्वामी तु है, तुं जगत का दाता है, जनम जनम से ए मेरे भगवंत तेरा मेरा नाता है, भवसे पार उतरनेको तेरे गीतों का सरगम होगा. ३. दादा रे... तारा दर्शन
(राग - बेना रे )
दादा रे...तारा दर्शन विना मारू हैयुं वलोवाय, आदिनाथ दादा प्यारा लागे,
शुं शुं मने थाय, कही ना शकाय, आदीनाथ. तारा दर्शन विना मारू, जीवन सुनुं सुनुं (२) तारी याद आवे ने बनतुं हैयुं भीनुं भीनुं (२) दादा रे... उंचा डुंगर जईने बेठा केम करी अवाय, आदीनाथ.
आवुं तलेटी त्यारे उमंगे डुंगर चढवा दोडुं (२) मनने मनावी तनने रोकी, भक्तिमां दीलडुं जोडुं दादा रे... वहेला वहेला दर्शन आपो.
ठंडक थोडी थाय. आदीनाथ.
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