Book Title: Siddhachal Vando Re Nar Nari
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Mahendrasagar
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४७. मारो हेलो सांभलो शत्रुजयना राजा, नाभिरायाना बेटा, माता मरूदेवीना नंद... मारो हेलो सांभलो हो...जी हुकम करो तो दादा जात्राए आवं, भवोभवना कर्म खपावी, मोक्षपुरीमां जावं... मारो हेलो सांभलो हो...जी उंचा उंचा डुंगरोने, वसमी छे वाट, केम करीने आवू दादा, पकडो मारो हाथ... मारो हेलो सांभलो हो...जी नर अने नारी तारी जात्राए आवे, जनमो जनम ना कर्म खपावी, मोक्षपुरीमा जावे... मारो हेलो सांभलो हो...जी आदिश्वर दादा अद्भूत लीला तारी, आ सेवकनो हाथ पकडी, लई लो तमे उगारी... मारो हेलो सांभलो हो...जी
४८. सिद्धाचल का नाथ है हमारा... सिद्धाचल का नाथ है हमारा तुम्हारा...(२) इस तीरथ में जो भी आये मिले न जनम दुबारा...
सिद्धाचल का. कान में कुंडल डोले... मस्तक मुगट सुहाये कैसी सुंदर काया... भक्तों के मन भाये मन की इच्छा पूरी होवे... आये द्वार तिहारा...सिद्धाचल का.
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