Book Title: Siddhachal Vando Re Nar Nari
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Mahendrasagar
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चातुर्मासिक नित्य आराधना नवकार स्मरण सह निद्रा त्याग. प्रातः राईअ प्रतिक्रमण. आठ थोय से देववंदन. सामूहिक भक्तामर स्त्रोत पाठ. पू. गुरुदेव को वंदन, पच्चक्खाण. जयणापूर्वक तलेटी यात्रा, सामूहिक चैत्यवंदन. ईरियावहियं० करके...श्री शत्रुजय महातीर्थ आराधनार्थ काउस्सग्ग करुं? इच्छं.... श्री शत्रुजय....करेमि काउस्सग्गं वंदणवतियाए० अन्नत्थ० कहकर.... ९ लोगस्स का काउस्सग. नव खमासमण. विधिपूर्वक स्नात्रपूजा, अष्ट प्रकारी पूजा. प्रवचन श्रवण. नित्य एकासणा तप. देवसिय प्रतिक्रमण, संथारा पोरिसी श्रवण. गुरु-देव-सेवा. प्रतिदिन 'श्री शत्रुजय महातीर्थाय नमः (२० माला.) नवकार महामंत्र की बांधी १० माला. ब्रह्मचर्य पालन. विषयकषाय विगई त्याग.
१६३
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194