Book Title: Siddhachal Vando Re Nar Nari
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Mahendrasagar

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुंबी-जल स्नाने करी, जाग्यो चित्त विवेक. चंद्रशेखर राजा प्रमुख, कर्म कठिन मल धामः अचलपदे विमला थया, तिणे ( विमलाचल) नाम; सि. ४ पर्वतमां सुरगिरि वडो, जिन अभिषेक कराय; सिद्ध हुआ स्नातक पदे, सुरगिरि नाम धराय . भरतादि चौद क्षेत्रमां ए समो तीरथ न एक; तिणे (सुरगिरि) नामे नमुं, जिहां सुरवास अनेक. सि. ५ एंशी योजन पृथुल छे, ऊंचे पणे छव्वीश; महिमाए मोटो गिरि, (महागिरि) नामे नमीश. गणधर गुणवंता मुनि, विश्वमांहे वंदनिक: जेहवो तेहवो संयमी ए तीर्थे पूजनिक. विप्रलोक विषधर समा, दुःखिया भूतल मानः द्रव्यलिंगी कणक्षेत्र सम, मुनिवर छीप समान. श्रावक मेघ समा कह्या, करता पुण्यनुं काम; पुण्यनी राशि वधे घणी, तिणे (पुण्यराशि) नाम. संयमधर मुनिवर घणा, तप तपता एक ध्यान कर्म-वियोगे पामिया, केवल - लक्ष्मी-निधान. लाख एकाणुं शिव वर्या, नारदशुं अणगार; नामनमो तिणे आठमुं, (श्रीपदगिरि) निरधार. श्री सीमंधर स्वामीए, ए गिरिमहिमा विलास; इंद्रनी आगे वरणव्यो, तिणे ए (इंद्रप्रकाश). दशकोटी अणुव्रतधरा, भक्ते जमाडे सार; जैन तीरथ यात्रा करे, लाभ तणो नहि पार. १४३ For Private and Personal Use Only सि. ६ सि. ७ सि. ८ सि. ९

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194