Book Title: Siddhachal Vando Re Nar Nari
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Mahendrasagar

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Page 150
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपे तुज चरणोमां स्थान, तारुं नाम छे हे भगवान मंगल० ३ जगने भूली जे जीव आवे, मस्त बनीने तुजने ध्यावे, आपे तेने अक्षय धाम, तारुं नाम छे हे भगवान, मंगल० ४ ४४. भक्ति भर्यु हैयुं ने ... (राग - चपटी भर चोखाने) भक्ति भर्यु हैयुंने शुद्ध करी भावना, जीवन सफल करी, चालो रे चालो सिद्धाचल जइए रे. दादाना देहरा शोभे, डुंगरीये वंदन करवा जइए रे. चालो . पतित पावन भूमि सिद्धिगिरराजनी, ध्यान हृदय धरी लइए रे... चालो . कण कण जेनो शक्ति देनारो, भावे भक्ति करी लइए रे... चालो . शाश्वत तीरथ शोभे जगतमां, दर्शनथी निर्मल थइए रे... चालो . भावथी आवे ते कर्म खपावे, उज्जवल मन करी लइए रे... चालो भक्तो तमारा गीतडा गावे, गिरिवर शरणे जइए रे.. चालो . ४५. यह है पावन भूमि यह है पावन भूमि, यहां बार बार आना, 1 आदिनाथ के चरणों में आकर के झूक जाना. तेरे मस्तक में मुगट है... तेरे कानोमें कुंडल है, १३३ For Private and Personal Use Only यह०

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