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क्षायिक समकित मुजने आपो, एही ज परम आधार दीनदयालु दरिशन दिजे पाय पडु सो वार. सेवक समजीने अरज सुणो प्रभु विनतडी अवधार क्षमाविजयना बाल सिद्धिना, आवागमन निवार.
३८. प्रभु ऋषभस्वामी
( राग : माढ)
प्रभु ऋषभस्वामी, अंतरयामी मोक्षना गामी
वंदु वारंवार ... प्रभु हाथ ज जोडी. मान ज मोडी, काया संकोडी वंदु वारंवार ...
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सिद्धाचल पर आप बिराजो, प्रथम ऋषभ जिणंद रिपु अरिष्टनो क्षय करीने कीधा कर्म निकंद रे. विनीता नगरीने विशे रे जन्म लीयो भगवान नरक निगोदे हुं घणुं भमीयो काल तणुं नहीं मान रे. शशीनी पेरे शीतलकारी नाभिराया तुज तात सहस अष्टोत्तर लक्षण तमारा मरूदेवा भली मात रे. कषाय दंडी बंधन छंडी आप थया छो दूर शिवनारीना प्रथम स्वामी आव्यो छं आप हजूर रे. कमल विजय गुरु पसाये लाभ विजय गुण गाय श्री विमलाचल वासीने नीरखी हैडे हर्ष न माय रे.
३९. भवि आवोने
भवि आवोने (२) शेत्रुंजय भेटीये श्री आदीश्वर जिनराय
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