________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
१०. शोभी शी कहुं रे
शोभा शी कहुं रे, शेत्रुंजा तणी, जीहां बीराजे प्रथम तीर्थंकर देव जो, रूडी रे रायण तले ऋषभ समोसर्या, चोसठ सुरपति सारे प्रभुनी सेव जो. निरख्यो रे नाभिराया केरा पुत्रने,
माता मरुदेवी केरा नंद जो, रूडी रे विनीता नगरीनो धणी,
मुखडुं सोहिये शरद पूनमनो चंद जो. नित्य उठीने नारी कंतने विनवे, पियुडा मुजने पालीताणा देखाडजो, ए गिरिए पूर्व नव्वाणुं समोसर्या, माटे मुजने आदीश्वर भेटाडजो. मारे मन जावानी घणी होंश छे, क्यारे जावुं ने क्यारे करूं दर्शन जो, ते माटे मन मारुं तलसे घणुं, नयणे निहालुं तो ठरे मारा लोचन जो. एवी ते अरज अबलानी सांभलो, हुकम करो तो आवुं तमारी पास जो, महेर करीने दादा दरिशन दीजीए, श्री शुभवीरनी पहोंचे मननी आश जो.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५४
For Private and Personal Use Only
१
२
३
४
५