Book Title: Shravak Ke Barah Vrat
Author(s): Mangla Choradiya
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 23
________________ 2. तक्करप्पओगे - चोर को चोरी करने में सहायता देना । 3. विरुद्धरज्जाइक्कमे - राज्य विरूद्ध बड़ा कार्य व अपराध करना। 4. कूडतुल्लकूडमाणे- तोलने के बाट और मापने के गज मीटर वगेरह हीनाधिक रखना। 5. तप्पडिरुवगववहारे- बहुमूल्य बढ़िया वस्तु में अल्प मूल्य वाली घटिया वस्तु मिलाकर बेचना अथवा असली वस्तु दिखकर नकली वस्तु देना या नकली को ही असली के नाम से बेचना। विशेष नियम 1. जानबूझकर चोरी का माल नहीं खरीदूँगा / खरीदूँगी । 2. चोर को चोरी करने में मदद नहीं दूँगा / दूँगी । 3. राज्य विरुद्ध कार्य (करचोरी, कानून तोड़ना) नहीं करूँगा /करुँगी। 4. अच्छी, वस्तु दिखाकर खराब वस्तु नहीं बेचूँगा / बेचूँगी । 5. नकली वस्तु को असली बताकर नहीं बेचूँगा / बेचूँगी । 6. मैं डण्डी मारकर कम नहीं तोलूँगा / तोलूँगी और गज आदि को खिसकाकर कम नहीं नापूँगा / नापूँगी । व्यापार में छलपूर्वक क्रियाएँ नहीं करूँगा/करुँगी। 7. मैं रेल का टिकट और माल का किराया नहीं छिपाऊँगा/छिपाऊँगी। 8. अधिक मूल्य की वस्तु में कम मूल्य की वस्तु मिलाकर नहीं बेचूँगा/ बेचूँगी । 9. धर्मस्थानक में किसी भी वस्तु की चोरी नहीं करूँगा /करूँगी। 10. हिसाब करते वक्त भूल से अगर ज्यादा आ जाए तो रकम या वस्तु वापस करूँगा/करूँगी । 11. तस्करी, स्मगलिंग का त्याग । 12. धर्मस्थानक में रही हुई वस्तु (पुस्तक, आसन, मुहपत्ती आदि) का 18

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