Book Title: Shravak Ke Barah Vrat
Author(s): Mangla Choradiya
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 49
________________ * * 12. रेशम या रेशमी कपड़ों का व्यापार नहीं करना चाहिए और न ही उनको काम में लाना चाहिए। क्योंकि आजकल कीड़ों को उबाल कर रेशम बनाया जाता है। ऐसे मोती नहीं पहनने चाहिए, जो मछली आदि जीवों को मारने से प्राप्त होते हैं। 13. मधु (शहद) नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इनमें छोटी-छोटी मक्खियाँ और मक्खियों के अण्डे भी प्राय: आ जाते हैं। 14. अचार और मुरब्बे में बहुत जल्दी जीव पैदा हो जाते हैं, इसलिए इसका ख्याल रखना चाहिए और बाजारू अचार और मुरब्बा नहीं खाना चाहिए। 15. कई पत्तियों पर त्रस जीव रहते हैं, इसलिए इसकी सावधानी रखनी चाहिए और सावन महिने में तो पत्ती का शाक नहीं खाना ही उचित है। 16. जिसको हरे शाक का त्याग हो, उसे सुखाने का भी त्याग करना चाहिए। 17. फूल का शाक कदापि नहीं खाना चाहिए, क्योंकि फूल में त्रस जीव रहते हैं। 10. सुगन्धित या दुर्गन्धित वस्तु का धुआँ नहीं करना चाहिए क्योंकि धुएँ से मच्छर आदि त्रस जीव मर जाते हैं। आठवाँ स्थूल अनर्थदण्ड विरमण व्रत अनर्थदण्ड विरमण व्रत (गुणव्रत) की प्रतिज्ञा द्रव्य से- निष्प्रयोजन अशुद्ध आचरण की निवृत्ति के लिए चारों प्रकार के अनर्थदण्ड का त्याग करता/करती हूँ । क्षेत्र से-सम्पूर्ण लोक प्रमाण । काल से- जीवन पर्यन्त। भाव से-प्रमाद एवं रागद्वेषादि 44

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