Book Title: Shravak Ke Barah Vrat
Author(s): Mangla Choradiya
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 48
________________ हलवाई का धन्धा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस धन्धे में चींटी, मक्खी, चींटे, मच्छर आदि जीवों का घात होता है। 3. परिमाण से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए तथा बार-बार भोजन नहीं करना चाहिए। अनियमित भोजन करने से शरीर बिगड़ता है, आदत खराब होती है, तथा अजीर्ण आदि अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। 4. अधिक समय का अचार, मुरब्बा और शर्बत काम में नहीं लाना चाहिए, क्योंकि इनमें त्रस जीव उत्पन्न हो जाते हैं। 5. अनजाना फल या अज्ञात वस्तु नहीं खानी चाहिए। 6. जहाँ तक बन सके ऐसी विदेशी दवा नहीं खानी चाहिए जिसमें मद्य, मांस की आशंका हो। 7. नियमित समय पर खाना-पीना चाहिए। ऐशआरामी (विलासी) नहीं बनना चाहिए। 8. जिस वस्तु पर चींटियाँ चढ़ती हैं, मक्खियाँ बैठती हैं अथवा जिस त्रस वस्तु से हवा बिगड़ती है उनको मार्ग में नहीं डालना चाहिए, किन्तु राख, धूल आदि में लपेटकर जन्तुरहित एकान्त स्थान पर डालना चाहिए, जिससे किसी को हानि न हो। 9. फूलों को नहीं सूंघना, क्योंकि वनस्पति की विराधना के साथ इनके सूक्ष्म जन्तु नाक द्वारा मस्तक में जाकर रोग उत्पन्न करते हैं। 10. जहाँ तक बन सके बाजार की मिठाई, पूड़ी आदि नहीं खाना चाहिए, क्योंकि उन चीजों में घी आदि शुद्ध न होने से स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है, तथा हलवाई के यहाँ आटा, मैदा बहुत दिन का रहता है, जिसमें इल्ली आदि जानवर पड़ जाते हैं और बिना छना आटा, पानी काम में लेते हैं इसलिए वे चीजें अपवित्र होती हैं। 11. लाख का व्यापार नहीं करना चाहिए, क्योंकि लाख में असंख्य त्रस जीव रहते हैं। (43

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