Book Title: Shraddhdin Krutya Sutram
Author(s): Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्राद्ध० साधर्मिकभेदकथनम् साधर्मिकमध्ये निवासकरणोपदेशः सत्सङ्गोऽपि कुसङ्गगवर्जनादेव फलवानिति तत्प्रतिषेधकथनम् अणुव्रताद्युपदेशः भोगोपभोगव्रतस्य विवरणम् चित्तानामेव केषाञ्चिद् www.kobatirth.org २५२ २५३ २५४-२५६ २५७-२५८ २५९-२६० द्रव्याणां प्रदर्शनम् २६१-२६३ २६४ उपसंहारपुरस्सरमुपदेशदानम् विकथानां प्रदर्शनम् हिंस्त्रप्रदानपापोपदेशयोरभिधानम् प्रतिदिनमुपयोगित्वेन यतनाया उपदेशः यतनां विना तपसोऽपि नैरर्थक्यकथनम् श्रावकधर्मोपसंहारपूर्वकं श्राद्धाभिग्रहकथनप्रतिज्ञा २७० २६५ २६६-२६७ २६८ २६९ श्रावकधर्मोपदेशसमर्थनपूर्वकं विशेषाभिग्रहनिरूपणम् लोचदिने घृतदानं कर्तव्यमित्येतस्मिन् भूताचार्यगाथायाः प्रमाणम् अभिग्रहनिगमना स्वजनानामेव च धर्मे स्थिरीकरणार्थं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only २७१-२७२ २७३ मनुष्यत्वादिसामग्री दौर्लभ्यप्रस्तावना एतस्यैवार्थस्य सूत्राष्टकेन भावना जिनधर्मस्यैवोपमानैः स्तवनम् दृष्टान्तोपदर्शनद्वारेण जिनधर्मस्यैव सर्वोत्तमत्वख्यापनम् २८७-२९१ तस्मिन् धर्म एवोद्यमकरणार्थमुपदेशः २९२ जिनपूजादिविषयत्वमेव धर्मस्येति तस्योपदेशः २९३ धर्मोद्यमेनैव मनुष्यत्वादिदुर्लभसामग्रीसार्थक्यम् २९४ २७४ २७५-२८२ २८३-२८६ सूत्रम् ||१८||

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 ... 218