Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता अणारिया। मूलगुणप्पडिसेवी, अणाययणं तं वियाणेहि खणमवि न खमं काउं अणाययणसेवणं सुविहियाणं / जग्गं, होइ वणं तग्गंधो मारुओ वाइ ऊणगसयमागेणं बिंबाइं परिणमन्ति तब्भावं / लवणागराइसु जहा वज्जेह कुसीलसंसर्गि दुसमहुंडऽवसप्पिणिभसमग्गहपीडियं इमं तित्थं / तेण कसाया जाया कूरा इह संजयाणं पि ओहट्टइ संमत्तं मिच्छत्तबलेण पिल्लियं संतं / परिवड्ढति कसाया अवसप्पिणिकालदोसेणं एक्के तवगारविया अन्ने सिढिला सधम्मकिरियासु / मच्छरवसेण दुन्नि वि होहिंति अपुट्ठधम्माणो फिट्टइ गुरुकुलवासा मंदा य मई य होइ धम्मम्मि। एयं तं संपत्तं जं भणियं लोगनाहेणं उवगरणवत्थपत्ताइयाण वसहीण सड्ढगाणं च / जुझिस्संति कएणं जह नरवइणो कुडुंबीणं कलहकरा डमरकरा असमाहिकरा अनिव्वुइकरा य। होर्हिति इत्थ समणा दससु वि खित्तेसु सयराहं ववहारमंततंताइयम्मि निच्चुज्जुयाण य.मुणीणं / विगलिति आगमत्था अणत्थलुद्धाण तद्दिवहं होर्हिति साहुणो वि य सपक्खपरक्ख निद्दया धणियं / एयं तं संपत्तं बहुमुंडे अप्पसमणे य जं सक्कइ तं कीरइ जं च न सक्कइ तहेव सद्दहणा। केवलिजिणेहिं भणियं सद्दहमाणस्स सम्मत्तं // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // // 71 // 29
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