Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 316
________________ // 4 // // 7 // // 8 // // 9 // तस्स विभूसणमेगं मणसुद्धी मंजरीव रुक्खस्स / तीइ समिद्धो एसो सुहफलरिद्धि पयच्छेइ तम्हा खलु आहियं चितंतेणं विवेगिणा एसा / कायव्वा मणसोही न होइ जह दुल्लहा बोही चउसरणे पडिवत्ती सम्मं अणुमोअणा गुणाण तहा। दुक्कडगरिहा तह भावणा य मणसुद्धिबीआई निट्ठवियअट्ठकम्मा देसियदुल्लक्खमुक्खपुरमग्गा। तेलुक्कपरमबंधू अरहंता मंगलं पढमं सिद्धा य मंगलं सव्वे साहू मंगलमुत्तमं / धम्मो केवलिपन्नत्तो सव्वजीवाण मंगलं अरहंता लोगुत्तमा सिद्धा लोगुत्तमा तहा। साहू लोगुत्तमा एसो धम्मो लोगाणमुत्तमो अरहंता मम सरणं सरणं सिद्धा य साहुणो सरणं / धम्मो करुणारम्मो सरणं जिणनाहनिद्दिट्ठो . सिरिरिसहअजियसंभवअभिनंदणसुमइपउमपहनाहा / जिणवरसुपासचंदप्पहसुविहिसीअलसिज्जंसा वासुपुज्जविमलसामिअअणंतपहुधम्मसंतिकुंथुजिणा। अरमल्लिसुव्वयनमी नेमी पासो अ वद्धमाणो अ इअ चउवीसं तिहुयणनमंसिआ वट्टमापतित्थयरा / केवलनाणदिणेसा हरंतु मम मोहतिमिरोहं केवलनाणिपमुहा अईअतित्थंकरा य चउवीसं / तह पउमनाहपमुहा मम सरणमणागया अरिहा सिरिउसभवद्धमाणयचंदाणणवारिसेणनामाणो / सासयजिणालयेसुं वंदे हं सासए जिणिंदे 300 // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // // 14 // "माणा। // 15 //

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