Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 326
________________ अइदुल्लहो य धम्मायरिओ जीवाण मोहमूढाण। जो साहइ जिणधम्मं अंधाण व मग्गसंचारं // 124 // धम्मायरिएण विणा जाणंति न मोहनिग्गहोवायं / धम्माभिमुहा वि पुणो पुणो वि जीवा भमंति भवे // 125 // रे जीव ! कह णु चिंतसि चिंतामणिकामधेणुकप्पतरू / धम्मेणं चिय सव्वाइं हुंति कज्जाइं सज्जाइं // 126 // भमिहिसि भवम्मि निग्गुण ! जम्मजरामरणपरवसो जीव!। न कया कया वि तुमए जिणवयणरसायणे तण्हा // 127 // जइ मुणसि पावकम्मं सम्मं दुक्खाण कारणं जीव ! / तह वि हु तुज्झ पमाओ निद्धंधस ! धम्मकज्जेसु // 128 // विहडइ विहवो विहडइ बंधवो विहडए सरीरं पि। तणुपरिचओ वि अंते विहडेइ न जीव ! तुह धम्मो // 129 // धम्मो चिय तुह जणओ जणणी तुह जीव ! सव्वजीवदया। तुह बंधवो विवेगो परमं मित्तं च सम्मत्तं . // 130 // मणसुद्धी पुण दइया उवसमपमुहा गुणा य तुह सयणा / इंदियजओ य पुत्तो सुहबुद्धी तुह पुणो धूया // 131 // एयं चेव कुटुंबं धरिज हियए करिज्ज मह वयणं / परलोए वि पउत्थ तं न मुयइ जं खणद्धं पि // 132 // साहम्मियसम्माणं न कयं जिणमंदिरं न उद्धरियं / न यं जिणवरवरबिंबं कारवियं जम्म हारवियं // 133 // पत्ते घरम्मि पत्ते सव्वविसुद्धं विसुद्धसद्धाए / जेण न दिन्नं दाणं कह होही तस्स कल्लाणं ? // 134 // दीणुद्धरणम्मि धणं न पउत्तं सज्जिओ न सीलगुणो। न कयं जिणउवएसाणुस्सरणं तस्स किं सरणं ? // 135 // 317

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