Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

Previous | Next

Page 335
________________ पविसंति समरमज्झे खग्गुग्गयसिहिफुलिंगदुप्पिच्छे / / सागरमज्झेविह हा अत्थस्स समज्जणे पुरिसा // 84 // इय नाऊण असारं संसारे दुल्लहं च मणुयत्तं / जण ! कीरउ जीवदया जा विहडइ सव्वदुक्खाई // 85 // भवलक्खेसु वि दुलहं संसारे मूढजीव ! मणुयत्तं / . तेण भणिमो अलज्जिर अप्पहियं किं न चिंतेसि? // 86 // दियहाइ दो वि तिन्नि वि अद्धाणं होइ जंतु लग्गेण / सव्वायरेण तस्स वि संबलए उज्जम कुणसि // 87 // जो पुण दीहपवासो चउरासीजोणिलक्खनियमेण / तस्स तवसीलमइवं संबलयं किं न चिंतेसि ? // 88 // पहरा दीयहा मासा जह जह संवच्छराई वोलिति / तह तह मूढ ! वियाणसु आसनोहोइ ते मच्चू // 89 // केदियहं वाससयं तस्स वि रयणीसु हीरए अद्धं / किंचि पुण बालभावे गुणदोस अयाणमाणस्स .. // 90 // सेसं कम्मेण वियावडाण अद्धाणखेयखिन्नाणं / वाहिसयपीडियाणं जराइ संखंडियाणं च // 91 // जस्स न नज्जइ कालो न य वेला नय दियहपरिमाणं / नरए वि नत्थि सरणं न य वेला दारुणो मच्चू // 92 // इय जाव न चुक्कसि एरिसस्स खणभंगुरस्स देहस्स। जीवदयाए जुत्तो तो कुण जिणदेसियं धम्म // 93 // जस्स दया तस्स गुणा जस्स दया तस्स उत्तमो धम्मो। .. जस्स दया सो पत्तं जस्स दया सो जए पुज्जो // 94 // जस्स दया सो तवस्सी जस्स दया सो य सीलसंपत्तो।। जस्स दया सो नाणी जस्स दया तस्स निव्वाणं // 95 // 326

Loading...

Page Navigation
1 ... 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346