Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 60 // // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // वासारते विज्जुलयविदुयं सिसिरसीयसन्नंगं / . गिम्हे वि घिम्मनडियं किं न मुणह एरिसं लोयं? गरपेसदासदुग्गयलोहारियलोहलोलियाबहुलं / पुट्टलियासयदुहियं किं न मुणह एरिसं लोयं ? कण्णुटुछित्रवयणं छिन्नं तह नासियाए अंगं च / कोढेण भिणभिणंतं किं न मुणह एरिसं लोयं ? काऊण पावकम्मं गंतुं नरएसु तह य तिरिएसु। दुक्खाई अणुहवंतं किं न मुणह एरिसं लोयं ?' पक्खिसरीसिवजलयरचडप्पयत्तन्नवहसमुज्जंतं / . मणुएसु वि हम्मंतं किं न मुणह एरिसं लोयं? खरकरहमहिसविसतुरयवडवातह वेसराइवामीसं / गुरुभारवहणखिन्नं किं न मुणह एरिसं लोयं ?' पुढविजलजलणमारुयतणरुक्खवणस्सईहिं विविहाहिं। एएसु अपज्जत्तं किं न सुणह एरिसं लोयं? एवं जीवदयाविरहियस्स जीवस्स मूढहिययस्स। . किं अस्थि किंचि सुक्खं तिलतुसमित्तं पि संसारे ? जज्जरजज्जरियसकज्जलाई दरभग्गभित्तिभागाई। मडहाइ मंगुलाई गेहाई तमणिरहियाइं जं दियहं दारुणदूसहेहि दारिद्ददोसदुहिएहिं / सीउण्हवायपरिसोसिएहि कीरति कम्माई जं परघरपेसणकारएहिं सीयलयविरसरूक्खाई। भुंजंति अवेला भोयणाई परिभूयलद्धाई जं दूहव दूसह दुक्कलत्त निच्चं च कलहसीलेहि। ' तेहिं समं चिय कालो निज्जइ अच्चंतदुहिएहिं // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // / // 71 // 324
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