Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 324
________________ / 100 // तं कत्थ बलं तं कत्थ जुव्वणं अंगचंगिमा कत्थ? / सव्वमणिच्चं पिच्छह नटुं दिटुं कयंतेण घणकम्मपासबद्धो भवनयरचउप्पहेसु विविहाओ। पावइ विडंबणाओ जीवो को इत्थ सरणं से? // 101 // जीवो वाहिविलुत्तो सफरो इव निज्जले तडप्फडइ / सयणो विमणो पिच्छइ को सक्को वेयणाविगमे? // 102 // मा जाणसु जीव ! तुमं पुत्तकलत्ताई मज्झ सुहहेऊ / निउणं बंधणमेयं संसारे संसरंताणं // 103 // विसमिव मुहे महुरा परिणामनिकामदारुणा विसया / कालमणंतं भुत्ता अज्ज वि मुत्तुं न कि जुत्ता ? // 104 // विसयरसासवमत्तो जुत्ताजुत्तं न याणई जीवो। . झूरइ कलुणं पच्छा पत्तो नरयं महाघोरं // 105 // तह लालियं पि तह पालियं पि अंते मुहं विकूणेइ / फरिसंतं पि कुडुंब विडंबणा का न संसारे? // 106 // जणणी जायइ जाया जाया माया पिया य पुत्तो य।। अणवत्था संसारे कम्मवसा सव्वजीवाणं / // 107 // एगो बंधइ कम्मं एगो धणहरणमरणवसणाई। विसहइ भवम्मि भमडइ एंगु च्चिय कम्मवेलविओ // 108 // अन्नो न कुणइ अहियं हियं पि अप्पा कुणेई न हु अन्नो / अप्पकयं सुहदुक्खं भुंजसि ता कीस दीणमुहो? // 109 // बहुआरंभविढत्तं वित्तं विलसंति जीव ! सयणगणा। तज्जणियपावकम्मं अणुहवसि पुणो तुमं चेव // 110 // अंह दुक्खियाई तह भुक्खियाइं जह चिंतियाई डिभाई। तह थोवं पि न अप्पा विचिंतिओ जीव ! किं भणिमो? // 111 // 315

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