Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 76 // // 77 // // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // चुलसीइलक्खसंखासु जीवजोणीसु परिभमंतेण / तज्जिय वत्तिय दूमिय परिभाविया तह उवद्दविया निब्भच्छिय संघट्टिय विहडाविय पीलिया य वेलविया / परियाविया य तह जीवियाउ ववरोविया चेव तं तिविहं तिविहेणं सव्वं खामेमि तह य अप्पाणं / निंदामि य गरिहामि य तह मिच्छा दुक्कडं मज्झ पियमाइभायबंधवपुत्तकलत्तेसु मित्तवग्गेसु / उवयारिसु अवयारिसु सव्वेसु वि खामणा मज्झ खामेमि सव्वजीवे मज्झ सव्वे खमंतु ते / तेसु मज्झत्थभावो मे मित्ती वा पारिणामिया सुहिया आमयरहिया धुयपावरया सुधम्मकम्मरया / दीहाऊ जिणमयन्नू हवंतु सव्वे वि इह जीवा तिरियनरामरजणिया उवसग्गा के वि जे मए ते वि। खमियव्वा सहियव्वा सम्म अहियासियव्वा यः जं वायाए भणियं देहेण कयं मणेण संकलियं / तमहं असुहं कम्मं सम्म गरिहामि सव्वं पि जाणंति जत्थ कत्थ वि केवलिणो मज्झ दूसणं किं पि। तं आलोएमि अहं तेसिं चिर्य सक्खियं इण्हेिं सव्वं पाणाइवायं असच्चभासणमदत्तदाणं च / मेहुणपरिग्गहराइभत्तं कोहं च माणं च मायं लोहं कलहं परपरिवायं तहेव पेसुन्नं / अब्भक्खाणं मायामोसं दोसं च पिम्मं च रइअरई तह मिच्छादंसणसल्लं च पावठाणाई। अट्ठारस एयाइं पुव्वभवेसुं इहभवे वा // 82 // // 83 // // 84 // // 85 // // 86 // // 87 // 313
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