Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ जयइ सुरासुरनमिओ गुणरयणमहोयही सुहावासो। तित्थयरमाणणीओ चउविहसिरिसमणसंघो य // 64 // तं भगवंतं अणहं नियसत्तीए अणग्घभत्तीए / सक्कारेमि य संमाणेमि य सिरसा नमसामि // 65 // जं तस्स मए कत्थ वि पडिकूलं कह वि विप्पियं विहियं / आसायणा तह कया कया वि खामेमि तं सव्वं // 66 // अहिंसालक्खणो धम्मो गुणाण रयणायरो / भासिओ वीअराएहि मुक्खसुक्खाण कारणं // 67 // दहभेओ जइधम्मो सावयधम्मो य बारस वयाई / भणिओ थूलगपाणाइवायविरमणपुरोगाई // 68 // संकाकंखविगिच्छा मिच्छादिविस्स संथवपसंसा / आसायणं च कत्थ वि तस्स कयं तं खमावेमि // 69 // जिणसमयपसिद्धेसु सत्तसु खित्तेसु गुणसमिद्धेसु / जं चिय दिन्नं दाणं भत्तीए कयं च सम्माणं // 70 // जं विहियं सुहकिच्चं अन्नं पि मए जिणाण आणाए। तं सव्वं पि अणग्धं मम हुज्जा मुक्खसुक्खफलं // 71 // कालो अणाइ जीवो अणाइ तह भवपरंपराणाई / जे के वि तत्थ जीवा एगेंदियपमुहजाईसु // 72 // एगिदिया य बेइंदिया य तेइंदिया य चरिंदी। पंचिंदिया य कत्थ वि असन्निपंचिंदिया चेव / / 73 // देवनरतिरियनारयचउगइमग्गेसु परिभमंता य / तह ते वि पुढविकाया दगकाया वाउकाया य // 74 // तेउक्काया वणस्सइकाया तसकाइया य सव्वे वि। इय छव्विहजीवनिकायलक्खणा निग्गुणेण मए // 75 // 212
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