Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 325
________________ वीसरइ सयणलोगो तुहं संबंधं मुहुत्तकयसोगो.। जीव ! सुहासुहकम्मं वच्चइ एगं तए सरिसं // 112 // तह परिचयघट्ठाई अणंतसो जीव ! जम्ममरणाई। ता मरणे वि तुमं कह हद्धी धीरत्तणं मुयसि ? // 113 // खणभंगुरं सरीरं जीवो अन्नो य सासयसहावो। कम्मवसा संबंधो निब्धो इत्थ को तम्हा? . // 114 // कह आयं कह चलियं तुमं पि कह आगओ कहं गमिही। अनुन्नं पि न याणह जीव ! कुडुंब कओ सुज्झ? // 115 // . असुइसमवायजायं असुइरसाहारबद्धसंठाणं / . असुईण जम्मभूमी तं देहं कह सुई होइ ? // 116 // पंचेंदियाइं चउरो तह कसाया य तिन्नि दंडा य। पंचप्पाणिवहाई सत्तरसासवदुवाराई / // 117 // एएहिं मुक्कलेहिं जीवतलायं समंतओ एयं / निच्चं आऊरिज्जइ कम्ममहावारिपूरेण // 118 // एयाइं जो निरंभइ पडिसेहइ सो तमित्थ पविसंतं। जं च पुराणं तं पि हु कमेण सोसेइ अपमत्तो // 119 // बारसभेयविसिटुं सभिंतरबाहिरो जिणुद्दिवो / तविओ तवो विसुद्धो कम्ममसेसं पि निज्जरइ / // 120 // धम्माहम्मा पुग्गलजीवाकासा य पंच सुपसिद्धा / अस्थिकाया तम्मयमेयं लोयं वियाणाहि // 121 // चउदसरज्जुपमाणे लोए ठाणं पि तिलतुससमाणं / तं नत्थि जत्थ जीवा न य पत्ता जम्ममरणाई // 122 // अन्नाणेण कुसंगेण य कत्थ वि कुमयवासणाए य . दुलहा भवम्मि बोही विसयपसत्ताण सत्ताण // 123 // 316

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