Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 315
________________ गंगाए वालुया सागरे जलं हिमवओ य परिमाणं / जाणंति बुद्धिमंता महिलाहिययं ण जाणंति रोवावंति रुवंति य अलियं जपंति पत्तियावंति कवडेण य खंति विसं मरंति णय जंति सब्भावं // 10 // चितिति कज्जमण्णं अण्णं संठवइ भासई अण्णं / आढवइ कुणइ अण्णं माइवग्गो णियडिसारो // 11 // असयारंभाण तहा सव्वेसिं लोगगरहणिज्जाणं / परलोगवेरियाणं कारणयं चेव इत्थीओ // 12 // अहवा को जुवईणं जाणइ चरियं सहावकुडिलाणं / दोसाण आगरो चिय जाण सरीरे वसइ कामो // 13 // मूलं दुच्चरियाणं हवइ उ णरयस्स वत्तणी विउला / मोक्खस्स महाविग्धं वज्जेयव्वा सया नारी // 14 // धण्णा ते वरपुरिसा जे च्चिय मोत्तूण णिययजुवइओ। पव्वइया कयनियमा सिवमयलमणुत्तरं पत्ता . // 15 // // 1 // श्रीआसडकविविरचिता ॥विवेकमञ्जरी // सिद्धिपुरसत्थवाहं वीरं नमिऊण चरिमजिणनाहं / सवणसुहारससरिअं वुच्छामि विवेगमंजरिअं दुट्ठट्ठकम्मवसगा भमंति भीमे भवम्मि निस्सीमे। भट्ठविवेगपईवा जीवा न मुणंति परमत्थं इह जीवाण विवेगो, परमं चक्खू अकारणो बंधू / जइ कहमवि पाविज्जइ असरिसकम्मक्खओवसमा // 2 // .. // 3 // / 305

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