Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 318
________________ // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // // 32 // सो पढमचक्कवट्टी भरहो भवियाण कुणउ कल्लाणं / आयरिसघरे केवललच्छीए जो सयं वरिओ बालाण तवस्सीण यं थविरगिलाणाण जेण साहूणं / वीसामणयं काही बाहुबली तेण बाहुबली सुच्चिय सणंकुमारो सलहिज्जइ जो तहा समत्थो वि। मोत्तूण दव्वरोगे चिगिच्छगो भावरोगाणं जस्स जलणेण सीसं झाणेण य झत्ति कम्म नीसेसं / पज्जलियं समकालं गयसुकुमालं च तं नमिमो घोरंतरायकम्माणुसएणं सो वि ढंढणकुमारो / उम्मूलइ उज्जुत्तो सव्वाई चेव कम्माइं उब्भडवेसा वेसा सा कोसा तस्स थूलभद्दस्स। . किं कुणइ जस्स न मणं मणं पि धीरत्तणं मुअइ ? जं दुक्करदुक्करकारउ त्ति भणिओ सि थूलभद्द ! तुमं / मयणभडवायभंजण ! तं छज्जइ तुज्झ गुरुवयणं छम्मासनिराहारो तवसोसिघोरकम्मपब्भारो / सिद्धिसुहं संपत्तो दढप्पहारी महासत्तो खंदगसीसेहिं तहा पीलिज्जंतेहिं अहह जंतेहिं / जं तेहिं पीलियाई नियकम्माई तमच्छेरं . सोणियगंधविणिग्गयपिवीलिया वज्जकीलियाउ व्व। जस्स पविट्ठा चलणेहिं णिग्गया सीसदेसम्मि अहह ! मह पावदुव्विलसियाणमेयं किय त्ति चितंतो। पत्तो चिलाइपुत्तो सुरलोअं निच्चउज्जोयं ज दुट्ठसिगालीए ववसिअमसमंजसं तए सहियं / तं मह सुअंपि सामिय ! अवंतिसुउमाल ! भयजणयं 300 // 34 // . // 35 // // 36 // // 37 // // 38 // // 39 //

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