Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 313
________________ // भोजनपूर्वचिन्तागाथाः // वेयणवेयावच्चे, इरियट्ठाए य संजमट्ठाए / तह पाणवत्तियाए, छटुं पुण धम्मचिंताए // 1 // जह सगडक्खावंगो, कीरइ भरवहणकारणा नवरं। तह संजमभरवहण - ट्ठयाए साहूण आहारो .. // 2 // अरसं विरसं वावि, सूइयं च असूइयं / / अल्लं राज इवामुकं, मंथुकुम्मासभोयणं , // 3 // बायालीसेसणसं - कडम्मि गहणम्मि जीव न हु छलिओ। ... इण्डिं जह न छलिज्जसि, भुंजतो रागदोसेहिं // 4 // बत्तीसं किर कवला, आहारो कुच्छिपूरओ भणिओ / पुरिसस्स महिलियाए, अट्ठावीसं भवे कवला अद्धमसणस्स सव्वं जणस्स कुज्जा दवस्स दो भागे / वाउयवियारणट्ठा, छब्भागं ऊणयं कुज्जा हियाहारा मियाहारा, अप्पाहारा य जे नरा / . न ते विज्जा चिकिस्संति, अप्पाणं ते चिकिस्संति रागेण सइंगालं, दोसेण सधूमगं वियाणाहि / रागद्दोसविमुक्को. भुंजिज्जा सुद्धचित्तो य असुरसुरं अचबचबं, अदुयमविलंबियं अपरिसाडि / मणवयणकायगुत्तो, भुंजइ इह पक्खिवणसोही अणवज्जाहाराणं, साहूणं निच्चमेव उववासो / उत्तरगुणवुड्डिकए, तह वि हु उववासमिच्छंति // 10 // पिंडं अमोहयंतो, श्ववरित्तीइच्छं / वारित्तम्मि असंते, सव्वा दिक्खा निरत्थया / // 11 // // 7 // // 8 // 304

Loading...

Page Navigation
1 ... 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346