Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ थोडइ धणि संसारियकज्जइ साहिज्जइ सव्वइ सावज्जइ। विहिधम्मत्थि अत्थु विव्विज्जइ जेण सु अप्पु निव्वुइ निज्जइ // 64 // सावय वसहि जेहिं किर ठावहिं साहुणि साहु तित्थु जइ आवहिं। : भत्त वत्थ फासुय जल आसण वसहि वि दिति य पावपणासण॥६५॥ जइ ति वि कालु च्चियगुणि वट्टहिं अप्पा परु वि धरहि विहिवट्टहिं। जिणगुरुवेयावच्चु करेवउ इउ सिद्धतिउ वयणु सरेवउ // 66 // घणमाणुसु कुडुंबु निव्वाहइ धम्मवार पर हिट्ठउ वाहइ। तिणि सम्मत्तजलंजलि दिन्नी तसु भवभमणि न मइ निम्विनी // 67 // सधणु सजाइ जु जि तसु भत्तउ अन्नह सद्दिट्ठिहि वि विरत्तउ। जे जिणसासणि हुंति पवन्ना सवि बंधव नेहपवन्ना // 68 // तसु संमत्तु होइ किव मुद्धह? जो नवि वयणि विलग्गइ बुद्धह। तिन्नि चयारि छुत्तिदिण रक्खइ स जि सरावी लग्गइ लिक्खइ // 69 हुंति य च्छुत्ति जल(पव)ट्टइ सेच्छइ सा घरधम्मह आवइ निच्छइ। छुत्तिभग्ग घर छड्डुइं देवय सासणसुर मिल्लहिं विहिसेवय // 7 // पडिकमणइ वंदणइ आउल्ली चित्त धरंति करेइ अभुल्ली। मणह मज्झि नवकारु वि ज्झायइ तासु सुटु सम्मत्तु वि रायइ // 71 // सावउ सावयछिद्दई मग्गइ तिणि सहु जुज्झइ धणबलि वग्गइ। अलिउ वि अप्पाणउं सच्चावइ सो समत्तु न केमइ पावइ // 72 // विकियवयणु बुल्लइ न वि मिल्लइ पर पभणंतु वि सच्चउं पिल्लइ / अट्ठ मयट्ठाणिहिं वटुंतउ सो सद्दिट्ठि न होइ न संतउ // 73 // पर अणत्थि घल्लंतु न संकइ परधणधणिय जुलेयण धंखइ। . अहियपरिग्गहपावपसत्तउ सो संमत्तिण दूरिण चत्तउ जो सिद्धत्तियजुत्तिहिं नियघरु वाहि न जाणइ करइ विसंवरु।. कु वि केणइ कसायपूरियमणु वसइ कुडुबि जं माणुसघणु // 5 // // 74 // 302
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