Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 307
________________ जइ किर वरिससयाउ वि होई पाउ इक्कु परिसंचइ सोई। कह वि सो वि जिणदिक्ख पवज्जइ तह वि न सावज्जइ परिवज्जइ गज्जइ मुद्धह लोअह अग्गइ लक्खण तक्क वियारण लग्गइ। भणइ जिणागमु सहु वक्खाणउं तं पि वियारमि जं लुक्काणउं / // 17 // अद्धमास चउमासह पारइ मलु अब्भितरु बाहिरि धारइ / कहइ उस्सुत्तउम्मग्गपयाइं पडिक्कमणयवंदणयगयाइं // 18 // पर न मुणइ तयत्थु जो अच्छइ लोयपवाहि पडिउ सु वि गच्छइ। जइ गीयत्थु को वितं वारइ ता तं उट्ठिवि लउडइ मारइ // 19 // धम्मिय जणु सत्थेण वियारइ.सु वि ते धम्मिय सत्थि वियारइ। तविहलोइहि सो परियरियउ तउ गीयत्थिहि सो परिहरियउ // 20 // जो गीयत्थु सु करइ न मच्छरु सु वि जीवंतु न मिल्लइ मच्छरु। सुद्धइ धम्मि जु लग्गइ विरलउ संघि सु बज्झु कहिज्जइ जवलउ // 21 पइ पइ पाणिउ तसु वाहिज्जइ उवसमि थक्कु सो वि वाहिज्जइ। तस्सावय सावय जिव लग्गहि धम्मियलोयह च्छिड्डुइ मग्गहि // 22 // विहिचेईहरि अविहिकरेवइ करहि उवाय वहु त्ति ति लेवइ। जइ विहिजिणहरि अविहि पयट्टइ ता घिउ सत्तुयमज्झि पलुट्टइ // 23 // जइ किर नरवइ कि वि दूसमवस ताहि वि अप्पहि विहिचेइय दस। तह वि न धम्मिय विहि विणु झगडहि जइ ते सव्वि वि उट्ठहि लगुडिहि निच्चु वि सुगुरुदेवपयभत्तह पणपरमिट्ठि सरंतह संतह। सासणसुर पसन्न ते भव्वई धम्मिय कज्ज पसाहहि सव्वइं // 25 // धम्मिउ धम्मुकज्जु साहंत परु मारइ कीवइ जुझंतउ। . तु वि तसु धम्मु अत्थि न हुनासइ परमपइ निवसइ सो सासइ // 26 // सावय विहिधम्मह अहिगारिय जिज्ज न हुंति दीहसंसारिय। . अविहि करिति न सुहगुरुवारिय जिणसंबंधिय धरहि न दारिय // 27 // 298

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