Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 305
________________ // 96 // // 97 // // 98 // वेरग्गमहा रयणायरम्मि पत्ते वि जेऽहिय पमाया / ते कालेणं घत्था पडिया भीमम्मि भवकूवे आया अणुहवसिद्धो अमुत्तीकत्ता सदेह परिमाणो / पुरिसायारो णिच्चो नाओ संवेग कुसलेहि चउनिच्छयपाणजुओ लोयस्सग्गम्मि संठिओ विमलो। पुणरागमणविहीणो सिद्धो उत्तो विरत्तेहिं सव्वे वि जिणवरिंदा सव्वे गणहारिणो य आयरिया / जे पुण चरिमसरीरा ते सव्वे संवेगपसायओं सिद्धा कलिकेलि विप्पमुमत्ता आगाम तारासु जुत्ति संरत्ता। संवेगदत्त चित्ता सासयवासं समणु पत्ता मत्ता वि य जे मंदा तेसि कएण परिस्समो एसो। विबुहाहमेण विहिओ मए जिणाणा-रएणं च इय कइवरगाहाहिं अमुणिय आगमवियार लेसेण / रइयं पगरणमेयं लच्छीलाहेण वरमुणिणा // 99 / / // 100 / / // 101 // // 102 // पू.आ.श्री.जिनदत्तसूरिविरचितः ॥उपदेश( धर्म )रसायनरासः॥ . पणमह पास-वीरजिण भाविण तुम्हि सब्वि जिव मुच्चहु पाविण। घरववहारि म लग्गा अच्छह खणि खणि आउ गलंतउ पिच्छह // 1 // लद्धउ माणुसजम्मु म हारहु अप्पा भव-समुद्दि गउ तारहु। अप्पु म अप्पहु रायह रोसह करहु निहाणु म सव्वह दोसह // 2 // दुलहउ मणुयजम्मु जो पत्तउ सहलउ करहु तुम्हि सुनिरुत्तउ। सुहगुरु-दसण विणु सो सहलउ होइ न कीवइ वहलउ-वहलउ // 3 // 26.

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