Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 306
________________ सुगुरु सु वुच्चइ सच्चउ भासइ परपरिवायिनियरु जसु नासइ। सव्वि जीव जिव अप्पउ रक्खइ मुक्खमग्गु पुच्छियउजु अक्खइ // 4 जो जिणवयणु जहट्ठिउ जाणइ दव्यु खित्तु कालु वि परियाणइ। जो उस्सग्गववाय वि कारइ उम्मग्गिण जणु जंतउ वारइ // 5 // इह विसमी गुरुगिरिहिं समुट्ठिय लोयपवाह-सरिय कुपइट्ठिय। जसु गुरुपोउ नत्थि सो निज्जइ तसु पवाहि पडियउ परिखिज्जइ // 6 // सा घणजडपरिपूरिय दुत्तर किव तरंति जे हुंति निरुत्तर? / विरला किवि तरंति जि सदुत्तर ते लहंति सुक्खइ उत्तरुत्तर // 7 // गुरु-पवहणु निप्पुनि न लब्भइ तिणि पवाहि जणु पडियउ वुब्भइ / सा संसारसमुद्दि पइट्ठी जहि सुक्खह वत्ता वि पणट्ठी // 8 // तहिं गय जण कुग्गाहिहिं खज्जहिं मयर-गरुयदाढग्गिहि भिज्जहिं। अप्पु न मुणहि न परु परियाणहिं सुखलच्छिं सुमिणे वि न माणहिं // 9 गुरु-पवहणु जइ किर कु वि याणइ परउवयाररसिय मड्डाणइ। ता गयचेयण ते जण पिच्छइ किंचिं सजीउ सो वि तं निच्छइ // 10 // कट्ठिण कु वि जइ आरोविज्जइ तु वि तिणं नीसत्तिण रोविज्जइ / कच्छ ज दिज्जइ किर रोवंतह सा असुइहि भरियइ पिच्छंतह // 11 // धम्मु सु धरणु कु सक्कइ कायरु ? तहिं गुणु कवणु चडावइ सायरु ? / तसु सुहत्थु निव्वाणु किं संधइ ? मुक्ख किं करइ राह किं सुविधइ? तसु किव होइ सुनिव्वुइ-संगमु? अथिरु जु जिव किक्काणु तुरंगमु / कुप्पहि पडइ न मंग्गि विलग्गइ वायह भरिउ जहिच्छइ वग्गइ // 13 // खज्जइ सावएहि सुबहुत्तिहिं भिज्जइ सामएहिं गुरुगत्तिहि। वग्घसंघभय पडइ सु खड्डह पडियउ होइ सु कूडउ हड्डह // 14 // तेण जम्मु इहु नियउ निरत्थउ नियमत्थइ देविणु पुल्हत्थउ। जइ किर तिण कुलि जम्मु वि पाविउ जाइजुत्तु तु वि गुण न सुदाविउ 290

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