Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 07 Samvay Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

View full book text
Previous | Next

Page 269
________________ आगम (०४) [भाग-७] “समवाय" - अंगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) समवाय [प्रकिर्णका:], ---------------- ----------- मूलं [१४७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.आगमसूत्र- [०४] अंगसूत्र- [०४] “समवाय" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: १४७ ४|ष्टिवादः प्रत सूत्रांक [१४७] श्रीसमवा यांगे श्रीअभय वृचिः ॥१२९॥ CROSCOctr प्रत अनुक्रम [२२८-२३२] परिमाणं जिणमणपञ्जवओहिनाणसम्मत्तसुयनाणिणो य वाई अणुत्तरगई य जत्तिया सिद्धा पाओवगआ य जे जहिं जत्तियाई भत्ताई छेअइत्ता अंतगडा मुणिवरुत्तमा तमरओपविष्पमुक्का सिद्धिपहमणुत्तरं च पत्ता, एए अन्ने य एवमाइया भावा मूलपढमाणु ओगे कहिआ आपविजंति पण्णविजंति परू. सेत्तं मूलपढमाणुओगे, से किं तं गंडियाणुओगे?, अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहा-कुलगरगडियाओ तित्थगरगंडियाओ गणहरगंडियाओ चक्कहरगंडियाओ दसारगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ भदबाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ चित्ततरगंडियाओ उस्सप्पिणीगंडियानो ओसप्पिणीगंडियाओ अमरनरतिरियनिरयगइगमणविविहपरियट्टणाणुओगे, एवमाझ्याओ गंडियाओ आपविजंति पण्णविजंति परूविजेति, सत्तं गंडियाणुओगे. से किं तं चलियाओ?, जणं आइलाणं चउण्हं पुन्वाणं चूलियाओ, सेसाई पुबाई अचूलियाई, सेत्तं चूलियाओ, दिद्विवायस्स णं परित्ता वायणा संखेआ अणुओगदारा संखेआओ पडिवत्तीओ संखेजाओ निजुत्तीओ संखेजा सिलोगा संखेजाओ संगहणीओ, से पं अंगठ्ठयाए पारसमे अंगे एगे सुयखंचे चउद्दस पुन्वाई संखेजा वत्थू संखेजा चूलवत्थू संखेजा पाहुडा संखेजा पाहुडपाहुडा संखेजाओ पाहुडियाओं संखजाओ पाहुडपाहुडियाओ संखेजाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं पन्नत्ता, संखेना अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आपविजंति पण्णविनंति परूविअंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उवदंसिबंति, एवं णाया एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आपविजेति, सेत्तं दिविवाए, सेतं दुवालसंगे गणिपिडगे ॥१२॥ (सूत्र १४७) 'से किं तं दिविवाए'त्ति दृष्टयो-दर्शनानि वदनं वादो दृष्टीनां वादो दृष्टिवादः दृष्टीना वा पातो यत्रासौ दृष्टिपातः ॥१२९।। द्रष्टिवाद अंगसूत्रस्य शाश्त्रीयपरिचय:, ~269~

Loading...

Page Navigation
1 ... 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338