Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 07 Samvay Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 314
________________ आगम (०४) प्रत सूत्रांक [१५६ १५९] गाथा: १-९३ प्रत अनुक्रम [२५४ -३८३] [भाग-७] “समवाय” – अंगसूत्र - ४ (मूलं + वृत्ति:) समवाय [प्रकिर्णका:], पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र- [०४] अंगसूत्र- [०४] "समवाय" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः मूलं [१५६ से १५९ ] + ९३ गाथा: जहियं लद्धाउ पदमभिक्खाउ । तहियं वसुधाराओ सरीरमेत्तीओ वुडाओ ॥ ३२ ॥ एएसिं चउब्बीसाए तित्थगराणं चडवीसं इक्खा होत्या, तंजा--गग्गोहसत्तिवण्णे साले पियए पियंगु उत्ताहे । सिरिसे य णागरुक्खे माली व पिलंक्खुरुक्खे य ॥ ३३ ॥ ति॑िदुग पाडल जंबू आसत्ये खलु तदेव दद्दिवण्णे । गंदीरक्खे तिलए अंबयरुक्खे असोगे य ॥ ३४ ॥ चंपय बउले व ता वेडसरुक्खे य धायईरुक्खे । साले य वहुमाणस्स चैइयरुक्खा जिणवराणं ॥ ३५ ॥ बत्तीसं धणुवाई चेहयरुक्खी य वद्धमाणस्स । णिचोउगो असोगो ओच्छण्णो सालरुक्खेणं ॥ ३६ ॥ तिष्णे व गाउजाई चेइयरुक्खो जिणस्स उसमस्स । सेसाणं पुण रुक्खा सरीरओ पारसगुणा उ ॥ ३७ ॥ सच्छत्ता सपडागा सवेइया तोरणेहिं उनवेया । सुरअसुरनरुलमहिया चेइयरक्खा जिणवराणं ॥ ३८ ॥ एएसिं चउब्बीसाए तित्थगराणं चउव्वीसं पढमसीसा होत्या, तंजदा- 'पढमेत्य उसभसेणे बीइए पुण होइ सीहसेणे य । चारू य वज्रणाभे चमरे तह सुब्वय विदन्मे ॥ ३९ ॥ दिष्णेय वराहे पुणे आणंदे गोथुमे सुहम्मे य । मंदर जसे अरिट्टे चक्काह सयंभु कुंभे य ॥ ४० ॥ इंदे कुंभे य सुभे वरदत्ते दिण्ण इंदभूई य । उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहि उबवेया । तिरथप्पवत्तयाणं पढमा सिस्सा जिणवराणं ॥ ४१ ॥ एएसि णं चउवीसाए तित्वगराणं चउवीसं पढमसिस्सिणी होत्या, तंजहा - बंभी व फग्गु सामा अजिया कासवीरई सोमा । सुमणा वारुणि सुलसा धारणि धरणी य धरणिवरा ॥ ४२ ॥ पढम सिवासुयी तह अंजुया भावियप्पा य रक्खी य। बंधुवती पुप्फवती अजा अमिला य अहिया ॥ ४३ ॥ जक्खिणी पुप्फचूला य चंदणऽजा य आहियाउ ॥ उदितोदियकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उबवेया । तित्यप्यवत्तयाणं पढमा सिस्सी जिणवराणं ॥ ४४ ॥ गाहा । ( सूत्रं १५७ ) जंबुद्दीवे णं भारदे वासे इमीसे ओसप्पिणीए वारस चकवहि For Parks Use Only ~314~ yor

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