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राम-'उसे तुम जो चाहे सो दे सकती हो, तुम भी तो लक्ष्मीको अवतार हो।'
सीताने उसी वक्त अपना बेशकीमती हार गलेसे उतारकर हनुमानको दे दिया।
हनुमानने उसके रत्नोंको दांतोंसे तोड़कर देखा और फेंक दिया । बोले--'इसमें कहीं राम तो है ही नहीं, मैं इसका क्या करूँगा।'
दृष्टि एक चोर सारी रात कोशिश करनेपर भी किसी मकानमें घुस सकनेमे असफल रहा । आखिर थककर लबे-सड़क एक पेड़के नीचे सो गया।।
एक और चोर उधरसे गुज़रा । देखकर बोला-'यह तो मेरा ही कोई भाई-बन्धु है । बेचारा कामयाव न होनेपर थककर सो गया है।'
इसके बाद एक शराबी वहाँसे होकर निकला । बोला-'उफ़ ! इतनी पी गया है कि तन-बदनका भी होश नहीं है।'
फिर एक योगी वहां आये । सोते हुए चोरको देखकर बोले-'ज़रूर ये कोई समाधिस्थ साधु हैं । धन्य हैं ये !'
माँका हृदय बहेलियेके तीरसे मरती हुई हिरनी आँखोंसे आंसू बहाती हुई बोली'मेरे स्तनोंके अलावा मेरे सारे शरीरका मांस लेकर मुझे छोड़ दो। इतनी महरबानी करो। मेरा बेटा, जो अभी घास खाना नहीं जानता, मेरी बाट देखता होगा।'
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सन्त-विनोद