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'तुम लोग एक दूसरेसे कुत्तोंकी तरह क्यों लड़ते हो ?' हज़रत मुहम्मदके उन अनुयायियोंने अपनी-अपनी बात कही। हैदरने पूछा-'जिस शख्सके लिए तुम लड़ते हो, क्या वो जिन्दा हैं ?' 'नहीं।'
'जो मर गया, उसके लिए झगड़ना निहायत बेवकूफ़ी है। आइन्दा ऐसी हिमाक़त करके राज्यका वक़्त बिगाड़ोगे तो तुम्हें सख्त सज़ा दी जायगी।'
समदर्शन एक दफ़ा संत नामदेव खाना बना रहे थे। रोटियां बन चुकनेपर आप ज़रा कामसे कुछ देरके लिए कहीं चले गये । इतनेमें एक कुत्ता आया और
रोटियां मुँहमें उठा कर भागा। उसी वक्त नामदेव आ गये। और घी की कटोरी हाथमें लेकर यह कहते हुए कुत्तेके पीछे दौड़े कि, "भगवन् ! रोटियाँ रूखी हैं, अभी चुपड़ी नहीं हैं, घी लगा लेने दीजिए फिर भोग लगाइए।'
अहकार एक आस्तिकका एक नास्तिक दोस्त था। एक दिन नास्तिक बोला-'तुम्हारा त्याग सचमुच बहुत बड़ा है। ईश्वरकी खातिर तुमने दुनिया छोड़ रक्खी है ।' आस्तिकने जवाब दिया--'भाई, तुम्हारा त्याग उससे भी बड़ा है। तुमने तो दुनियाकी खातिर ईश्वर तकको छोड़ दिया है।'
हककी रोटी एक राजाके यहाँ एक सन्त आये और हक़की रोटी माँगी। राजाने पूछा-हक़की रोटी कैसी होती है ? महात्माने बतलाया कि 'आपके नगरमें एक बुढ़िया फ़लां मुहल्लेमें रहती है वह हक़की रोटीका मतलब बतावेगी।'
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सन्त-विनोद