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नाजी उस बिदुनि मनही ॥
जन सकश्रानजितेनही६)
एसीससोई नोमाणासाथ स्संमाथा चाहारथितानी धन्याई छ की लिया इंसु मरुतान दें।
मादा पानी/संसा रिसरागीतादिकर रूमी सपतिभु पाती अन सास न नहीं । लिई ॥
खुदीई गोदा पुवाई लोगंधादाई, मोरसाएदाई नाफा साखुदाई नोसिलो गा गुबाई गौसियाग
सीपाडव्यासम्पक गया रोग नही। पूर्व कामाची नारेन ह
सातासु विषद्रप्रति बः॥ श्वीनर वन ॥ ३धनकर
नारसन न मास्पर्श पोताने आत्मानी श्लाघानवांचेय् स्वादकर5 ॥ शरीर लगा६५॥ वैशृंगारनकरज्ञान
विद्यादव्यका दि कयासन बाजोटा दिक मेहनंद्र सेव
| सुदाई तो सायासोरक पडि बद्देयावित र अव बंतचे रती
से डिसं सत्ताएं सिद्या सण सीतोली सम्पक
॥
द ॥३॥
वकरी ॥१॥ गमावल्यानको नवश गपाले ते उपरा वाली जेयत · श्वानाचा वापर लोकते ब्रह्मचर्यनीतिधायान मत्र बोलतेसाला रोग झा॥१॥ 'सुखने विषश्यतिबे४२॥ नामक है। सध्या कावसायासुरक पडि नयादित नवस परिस्मा लोगविजन सीन समिसम तीतां श्रसाध्ययना६ उपमहापरिक्षा पार्श्वनारि नवरभिनव वृंदा २५॥ तर लोकसा विमोकाध्ययन 201411
सनत्र ॥
हत
हाथ ॥
तंचायतीनं विमोहाय उचदागतं पचपरिया से रहा नही होना ती डिनरक
चीन कहइ स्त्रीपत्र यंक सकन्या हमारा प्रकाशवर्यमरा ॥ प्रजेऊवते की ॥