Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer
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संघनातवैताट्यधीसबरतकमा बृद्धीपमाहिम इनवतावादयालीरमुषा शादससगाकजाचपण मूलनविष वतमा हिरहश्विकमारिएपस्त्रिायाणवत नेवादससम्योजन नृमिमा हिमा
स्वानजोखनसे शिवमूली वैश्व तार वटा गजक्षेत्रपक्षसकी चाचपणकया।
मनिकराई माहि सर्वमिनी यहा सदेतिवदेनहपाडगाव-सदसोयशासधानधनगंदशदसंगाज्यसथाचवेधतो मूलेदभाजायणस विजलप। संघलझ जारदेनामरिक्षारि संवितरवासास योजनयायामपणाविरकसपणकलाबप मरूपवतमपास समा वामनपाला विश्वास वनविजलपण कद्या
भारगमदतपर्वत नसंस्थान याइविरकोणसव समापनगराधावियादवादसजायणसयामाधामविरकोयना सहेविशाह बतिमाहिविद्यत्पतगडादेवपरिरिक्रुटमा जानध्या।। ऊंचपएकमा मूलक्षिामक्षारसम्योजनविरकसपणेलांबपरणयिऊलपण ल्पवनमजदतवपश्हिरिशलेकर पांच में
श्कया। यरकारमयामरका निशिषधाकतवदारका रुपर्वताभिस्लीयरुटावासस
सबंधी सवानिवकरकारकटसहचानहीन माटिकन रिहरियारक्तदाबरलायटातमादसाजोगुण सायासमवयो मनिवसायासाइविकेटेगोप यामानासकट मोच में विषपाचनंदनवनवासिनविषय शिक्षा अरिष्टनेविसई मानसबर्षाकोसी सघजम्रामवासी न सिवया बुक्कर बहमवी करवाना शमविषबलकतनामरटन)नेमाचा बनकटसहसयो जसनधानंदनवमटवकातिनीधा
वर्षकमारपणा युट्ससवर्षनवतावनाजाणघयासर्वधरपक्षीणघया। २तसरखनाचा कसामवेमनहविषादिकदिसि विश्विारखी।
मोक्षपाम्या नधानली
सातारकडाविणदणकडाप्रापहाविधरिमेमोवाससयाईसहाव्र्यपालस्तासिनुजावणही पश्यनाधन
देवास जिन कैवली पाश्र्धनाधना श्ररिहतमा ससम्तदासादि वकासाका समसरकरहित अरितमा ऊयाजाणवा
पकालगन। र पाहामा प्रसादासगाईजाचाला पासमासोदमानलेवासिसयाकालगाडावरकय्य
था।

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