Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer

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Page 212
________________ विमानावासविमा रूपधर के ज्योति पीना ॥ विमानास विमान के वा श्रावमहुप्ततिथि इसिय दिमागाचा सापं ते जाति संयविमाचा सामू सिह सियाविविधमरा सत्तिविनावाहु वायकं पादी विजय वैज कलिगा घरी नीतिन विषजाली यांतितराम विकत पताकापरि सोनालीके निमितया जराकी मनिता हिरिकाजव करीन ॥ दवाब || बड़ा ततेामगिरने कनक सुति हनी भूतिका विश्वरा विजय विक्रांती पडा गातिबतक लिया डुंगा गया तलम लिहत सिहराजानंतर पंजरू मिलितम बली के दांव विकसितपत्र कमलरीकुहारदेनानविष 'वलीघर क्लीकवावपनीयमुवी दिनो तथा सोनिनइविषज्ञ तिलक धारमय दाविला ग मोहितवादादिरिक्षा पनी वालुका हा वजह कवित नविषवली के हवा सुरवरपनी बोकमालफ करागसियागादिति यतिलयस्य यदिता तो बदिवस हात शिवालु या पञ्चम वैमानिकवासावेमा सगवेकर एणीश्न प्रज्ञानन निकदेवना विमान देगौतम् ॥ सूपत्रावास कया॥ Xax सुकमाल वली गातमas बकला ॥ बली केसासा वलीमा सादीयति ॥ मानवरूपमनुष्य चित्रपत्रक मादिकनी जिल्हा || वायोपादेदीप्यमान॥ गायक ताकत पनी सियतिचिदिसिप्रसादकार्यव शासयति सिता काउली ने दीपक का नाम कांता दिककाली तनादिकती कि सातिने ग क शचित्रात ॥ य सुहफा सास सिरीयंतरा पासादीयाइरिसंघ के दतियाएं संते वे मा पिया दास पंगोमा इसी से पता रूपनई यतिबज्यव्यति घृणा योजननी घरगांयोजननी योजननां स क्रमी न सईक नई ह विवीध समय उचनमा सूर्य ग्रहगण नक्षत्रनाश नम्र भूमिसाव की २०६ दसम अहं चादिमंसूरियंगग णस्कनाश स्वातीति वृत्ती बरु णि जय गणादिक प्रिंटा या X जोX

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