Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer
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कमर्पयापपत्तहमा
पायस्पयनुलामासश्सजफलवितहकहननका अनेकाकारयसनकष्टमीपरपरान पाक फलमक्ष्यतपुरववियाकवि नरकतिर्थयानिमावि तकरीबंधाwas हजीव पाकमविवकदीया
॥ हमन॥ यिया कम्पाएंगेहावमा रामसागफल दिवासितिरिरकजीविया विविदवसायपरंपरायबाण सहामध्यपणय जिमपापकर्मश महापापा फलमारिपाकमधामरकतिर्थयानिमाविषध विनाशमारवन रणश्राध्यापकापणि॥ करी। ज सवपाकादयस्पर्ध गोयशनकष्ट।
काना कहीय विवागताद जवसायावासिलdिaneyतिरिकनिदिवमाविणासको ना२४२ अंगुष्टकहाघधायमानखपलानीसदवासघामीसनावदयालयाजकरतानपादालादनाशालाकातरमेव वणविकिशारखानविषयावं नाविषनघालवीयाकस्तानांदलविकासिमनामनिवणकरीदाहरणनिबाखवधाहाछीमावणारे विधवात घाल कशालता कशालमा मईवऊदामकरीफारिवनविषाकरिaan
टलाकाकरीलटिलावतकरी
गाधनसान बनातवासीसाता गुली
साइंगो करवा समिबियाण अजएकनिदादणायचलमल कालवण मललताल सलकलकलायमानाकरमाकरीतिसंवलिप्रषिवना नियरिंधमासादिकरसधावईकनंदाममीमत्राहियनामा स्नान कराविश्वात्तीला जनविशेषमाहिपचविधवाकमनीतलज नवधनाधननयोत्पादकपदीपनतलासीनमवस्वकीलपासका। लम्करीबारीबीज्ञानेहधकापिamaनममममतिकंपालिरबंध
टीप्रनिनमलगाववाल्यादिकदारुण महास जलसिलग कलकल अलिसिंचाकुतियागकंपधिरबंधाविदवशकतापतितटकर। मामाय नजाइयवाऽक्ते रवनीवविविधतकपकारनी परंपरा रवाफलदायक प्रणवद्यश्णसामन्यक मकदारी
विपाकप्तमाथिककशनुमानिरहश्यामलिम्पाघका लमाया पापीजी विश्वनधी माकूकम्प्रेषकी।
सायाऽख सरपा अमूकाापापकर्मवलीया वकीयमही जीवनशरवन नही। पलावणातिदसणाणिवा बजविविपश्य राणबछानतिपादकाबलाए अवेयायिना ए६
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