Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer
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छादिकपदसघलांकहि गणवादशांगनईविमणि अवतानादलीन अनवासावधानानीग्रपका सविनतजा अानमाहात्व नाकारण वामिहीलानियवस्मिता विकमाविमा
लास्किारावयापरणपरमश्नन्सबाने वारुपवस्तुधागामकरणकस्पन (महारदकानमIAshmitatinमित्यपद्मावकालिदालगिक पदार्थशनता रसायनहीयनंत निनिधन:
साधकाविपरीत घटनाकारणrains Raan
मतहःवक्तप-सेनाकहा प्रकाशिनि पचवालसंगेवाणिपिडम्रिगतलावाश्रांताधसावाशणतादेऊणताश्रयताका धनतवाली सकारपणिभनेताजिम जीवाणीया॥ मनेसाम्रजीवाणुका अनेसासवसिक्किा अनासवसिहिका अनंतासिका मुस्मिादिकापटपति नताब टिकापुलalasiयत्पः।
असयाइत्पः।
मिथितार्थ अकारण रणताकारण प्रणेता जीवाणंताजीवाश्रांतामसिधिया प्रगताससिधिया अणतासूिन मनतासित यस्सर्वसावन पापीया वापीय विशेषपण यवसायशा गस्वरुपकहामहिममासिकीराशि संसारीजीवनविषक
अणावाद वामीयामशहमस्वरुपकाबाजीवनीशसि अनावराशा
NaFराशसमूहकह्यानक
पाकी हीय
समूहः॥विकार
बनावमारासिसमूह। शासिताप्राविति परखिद्यतिपादंसिनिर्देसि नवदंसिऽवेरासी पंत जीवरासाजावरासीदा कहीलेका रवीवारपाजावमा अलपीजीवराशिघकिस्पतश्ररूपीजीवनापकारकही। शनिसमाचार काय।।
राशिदूपानावराशिद कहना से
जीवरासीऽविहाय स्वीजीवरासीय असूचीअडीवरासीय सेक्तिप्रवीजीवरासीप्रदाविज्ञाप,
धर्मास्तिकायस्कंबरदेसानदेवाजयममधर्मा एमजीवरात्रिपकारपसावरहीपणिसावादर पासपकारका मानदक्ति पनि नरम्रपान स्तिकायस्कंधाधापमानाकामास्तिका एमापमपामायपयामायणी विक्षदारिदीन करनाaleजयने यावमा शमितावमा यविधादसमापदेशाचगवनवदनामनग्रास बापाप्तापर्याप्तापक्षीनरकतियधमनुष्यता विजयविरविमानक न॥३॥ माधा मयकाल या सवमपत्तायतरानिधाधमानिकापर्याप्तापर्याप्त
3 ॥
ति माविकायलावासमए जावसतिप्राणुनरावधाच्या पंचविज्ञापतविङयवेजयंत जयंतऋपर
यमनिहालगिंमततरविमानशाहायचकिम्पयन अनतरापपातिकादेवानहालानावली

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