Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer
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योजननीनामाइविद्यालयातररुपर्वतकावा मेवा सहसजाउas सहस्तशिशिासन मारऽत्यामधदेहलोकांना राएरमसानव माधिमध्यसागरकचिऊदिसिपांचर सहस्त्रया जनपामाया
सहखविमानका सानीताचाहि नोट सटस्माईदाहाए मंदशहते पं.सरस्मारणं का योनिमाणावाससहस्सा में मासेशों धिवीन
पहिलरनकाम उपल्प धरमोतो तेहधकी उल सातम दमन धमांना एह सातसहस्रथाजनलगार नहन हल्पमा काम।।
हत्यि रणपसाएजुडवीएण्या सामरसवदरिलाताधरिमंतातोपलास्समरसहितधरिमतेएससकीयशासह अबाधाये दिवाल प्राप्तक रागनीयानाहरिषचन रम्यकनावासादत्रनामसहस्रटाजनसातिरेकमारीपतएक
क्षिणाईसरानीजीवा बासजीकमगुणी सहायीपककलाशिवजयनितान्या का विस्तारलविजलपार्णका बारलसीमानाची नश्व स्मारवाहानंतर शिवस्मरम्मयाणवासाठजोगासहरसाइंसातिशा विचारारमन्ना"दाहिणतरह घकामामीपनाचानपश्चिमईसायतलाबीऽहमा विश्वसमुप्सनपश्चिमसमुश्लगइंस्पशबानवसहस्त्रयो मेसा पर्वतरणितला शिवाक
परिदस अनायामपणश्लीवपणश्कही। रमाएंजीवापाईणपडिणारयाऽस्तोसमजावकोया पहरमाईनायामेशीपणत" मंदीपत्तेधरणितलेद सहस्रयो विरकसणकान॥ सरत्यातहीपमासिमध्यदीपजंबू लोपेपणाई फलपण
प हिलनसमुन जना
हीपएकनातसहस्रलाषयोममा अनई॥ काम होयणसहस्साईविरकंसर बुद्धीवादीवजोया सहसंमायामधिरकणयहालिगोसमुद्देको
४सय

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