Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer

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Page 187
________________ काडेदोनश्तहना यमगारज्जताधकामापन हवाजयणगारो दमकमाघाना वलीक वाजिमना तयमावनिक्षतामयाम। अनगारमपितानाहन मगरकही शिष्यलबमजा करयुक्तवताना स्पादिकाकरीवर पक्षाने .विळ२४१ रशिवदयमाश्यसलगुराशयाण अणगारमारिमाण रणावतो नतमवरदविशिक्षणालागऊ जिमनगवनहितकारीसमाजस्वाकरहनाविशेषa दिवमानिकामसुश्मननपत्यादिकालघा पाऽविनाविनवा मुटशिजिनमइस वनवासन मनुष्यसेक्ष्मीपरिषदासन मीवरसेवाकशजिन सायं उदय नगदियान गवतारिमाध्यरिदिवसादिवासमा एमाग रिसाण पाउवानियाकामी उचा वरपति जिम॥ कहा क्रिया लाकारुती अमरनरसुरगणा सोसलानश्तेजिमवताविता धावकीपायन पक्षिावकरदेव कम्मोहना। सतितिरं लक्ष्यपरिकदतिक्षामलोगगुस्वमनरमुरगाणा लोकपायतमालानियंत्रसेसकम्मावि बीविषयविरas जिमनस्युपयूउदारवधानतेधर्मक वनविणश्यकारधर्मस जिम घर्षलगम्य धाराधाबकानद नद्या गवानर मनुष्य लिपामन धनागा स्वरुपबा संथमा वितिकशावरतिरुप - धरासवीनाश्त्रयोग रुपनवापत्नपदामित्र समरिनाराज विविधीमुल समतदावि दऊविदयगा उदबक्षणिअचरिनाचारादिगण जिनवधन प्राचारादि अवगतसंब म मापित जिनवरदकरी वनमा हाजिहाँ जैतला सात वेदीमा इमिलिप्त पूज्य जे ना मनकरी यमाई न समचरितमोगासिलवयमायादिवसामिताजियावसादितएणामणुमिननियाजनितिमाणितजाणिय

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