Book Title: Samavayanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Hirsundar Muni
Publisher: Jaiselmer
View full book text
________________
एविसीनाशपातका
कफ कामरकष्टविचाटालानधनश्करशिदीमाईविधानितरिलाधनश्कामासाकापक्षितीयमयलााबीजीयरपलायाबाजाय। यसक्षसातादारि श्यलाबादमीsविणिमाबाबतीय पासणनावश्सातमीय पाचसामाधलायनरकादासा
सविधिनाचना सMarकहिaan का इतिचारिमनसमवाटा दिवश्यचनरिमननामलिरवीयवह
सफदेतबाज रिकरणाजतीलारिणयाहा चमवद्यासुबसुहवीमुद्यावरिनिरयावासंसयसहस्सा पहाता सुविध नामरिसमा जनरिसइनिन केनीयाधपजाणव सीलनाधरिहमपंध र्व लगाई गृहस्वायतमाहियसीमात्र
नरिसहस्सा
वाहन स्सणं फदतस्समरसतोपलारिसिणसमाजमा सीतलवायलसरिसरस्सामगारेम रहाना महत्छकीयतापपवज्या एकनावपूर्वजाणिवातिना गृहस्वाश्रममाहिQर्षसहस्त्रकमारपणमुपवर्षसहसमंझली कश पाभ्यासीप्सलमा५श्वसहनऊमा रिहेनयंचऊताश्वर्षसदवसात
जापणाम्पसहसवर्षचक्रवर्तियणकारहीनमध्यसा श्यापासश्सनवराज्यायमा प्रपस
ब
स्वकीनगारिसापरापबज्यापा नवश्याश्यवृद्धसरस्वतीकोस यस्लग
पारपवर्षसहस्रदाताई करपणनसायुःएक लाप सिनामुंबकापतित संतानहायमरिंदाससहस्साईगारवासमश्वसितामुंडेडावपछ वर्षका॥ हिकारबरिमाणमलिरवीयबाविछऊमारसम्मपतीमावति गवरहीनमान धिमाश्वविकऊमारंमधमनितकमारपवधिमाश्छ।
गहिसिक्षालापसवमानविविश्वलायसवनपर्वधिकृतकमार हीपकमारशिपिनि सदनयतीनकायमायुगमविविधाएकदक्षिण मारिलायसवमा मासकया।
रुकमार बीजभाउन्नरायनयुग्माकरसीपमध्यापर तितेनाaaरिविककमारावाससयसहस्साये सर्वक्षीनदिमानदहीणंविधऊमाश्विवणिया जिामलांवो॥ विविज्ञानानन्तरिलायसवन काग विसकतरिमतालिवीयवानानादिनाघनाबसायनर्वगृयकालरसधवति इसमजतरमसमवायसवयन
जम्मपाम्याध्यासीश्वलापशाहिनावगृहन्यारवानासीलाबमोहिंधीसलाषा काटकपूविश्वस्तरपूर्वलापनगरातमतरतचाउरक्षकानसात
विश्वलापऊमारावासमा हिवसाने.महाराज्याभिषकाचकपिरवानः बीबपिङगयागंबास्तशिणासप्तसहरमान सरहमहारायाधानरतबछवटीसलतरंसेस

Page Navigation
1 ... 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248