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सभार्थ
तहास त्रिपाणी न हा घर करी जिमनव एकवीस
कहा॥१॥
निविदादरपूर्वक याञ्चावभवं गुणवायु विहीबईला नई। न वा पायनं कर्मनाए कर्मनाशावरक इस कप्पाचा पाय विसरा मोदी पपादनमोहनीय नाम
कवास ॥ किति संतक
सदा ४ घडिया देता सुंड माणेसले बिहिबाद रस्सर विस तस्समा हरिस कंम्म स्त्रावी सं प्रत्याख्यान बीजोक पायकोवा रामजवत्पाख्यान जो ॥ धन्याष्पानावरणत्री अक पायी पा
मज ॥
सिता कसप्ताव स्वाक झानिकहर॥\
नाममाया॥
कमांसा संतकम्मालता ते अपञ्चरका एक साएको एवंमाणे मायालो से पञ्चरका गावरण कसा ए को हेय स्त्रीवदल रुषवेद१४॥ नपुंसक वेदश्या हास्यर६॥ श्ररतिरण रतिर सदर
प्रत्याष्पानावरण
हालको
म जसे कल नः । मानस्य माया ११ जान
मान६ माया लोस घनकषा
दमा रोमा थालो से संकल को दे एवंंमा मायाजसनिगवे दासे ऋरतिर विनय सो एकनीसा एकवीसवर्षसहस्र कालेकावते ऽषमा पाँच प्रमाणइ कह मशसहस्त्रवर्ष
नोकरांचा एकेकीथई। अवसर्पिलाई २० एवं प्रशा पनमा २३॥
पात्र श्राश्वसमयकाल ॥
नाक
दुषमडपमा ३ एकेकी सपिएम त जवासीभ११ |वर्षसहस्रना
कडगंचा एकमेक्कारां उसप्पिणी पंचमही तो समातो एक्कवी संग दाससह स्साई काले येत इसमा पहिलख बिलदासीन सयकवी से श्मा राई काल। कहा ॥ बीजमनुष्पन | ममयकाल) वर्षसहस्र
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इसम समाये एगमेगा गांड रस पिलीए पढमं द्वितिया समातो वा संवास सहस्रमातिका लेख