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समाय
मधाचारणा विद्याचा रणनीतिश्वागतिपर्वव
चमसुरमारदेवतान रमणी
सजन तिरिही पक चिकन रही मंदीर तेहा राजानमधिकपर्व दीपइ। जिन (मादादिजाई
त्यात पर्वत जिहीचाशदिक पाताल की प्राचीन मनुष्पक खाविवास पीपलमा पानपर्वतक हीयते। या समुद्र की दकिदिरा ४२ सयोज
चाधारणाएं तिरियंांगतीय वनती सुतिनिविड उपासते तर कधी सा बजी असुन रुकेंद्र ॥ उत्पात पर्वत सतर संयक वीसयोजन यतिहां ही पण समुद्रम संख्यानमनमा हिनदि केंद्र त्यात तया सई४२ सयोजन ॥ * कवी माइ
न कर्मयइतिहां पामीयज्ञतेतिविक्कुट सरस एक ही सय जन
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इंकाय साई इंएं यं बलिस्म सुरिया गिद उपामरसैा साई साता विद्यानुपानी मर्या अनियमनाम पतंगारिक संतोषकती मरेली उपरा जबाबदारी रिइंडियन अपराधूलाला बाजा वाशिमरण पहिला ममरश्नः येताना नाग विमानमा राज्यमरण रारलीयोन ही जा पोमन साम प्रतिनिम दल सहम तो सलम पावित्रोपने सानपाणीच परेशा२च रवी भूमिनियम निकर संधार 20इग्यारम निमरण हासिकमरल किया उसामा ॥१९॥
सत्तरसविहपर पं तं प्रादीमिर विश्व:)] मरणात आवक मरण उपोम केवल
बास्मक
बनाम तेस्ट न्याख्यानम पहनी खादीसूम में बस होले न हातिम संधारा स्वापीसा होने वाले नही पा
लमरणे पंडितम' बालमित केवलिम वहासगिविहितपरका गम इंगिणिम पाउदगम
समु पराया मुंगुसूदन संघरायला कानाव
संध्यात
एकस एक निबंध तेहि कदै ॥ प्रातिनिबोधज्ञानावरणामति लीस तर कर्मप्रकृतिमन बंधूपा ज्ञानावरण॥१॥
aanana
नारकी नरकायुमीयइ ॥ सवनिबंधनक दलमा मर परवा स्थानमा
तवमा ते
हाय ॥ एंजलीना
सरकारकाः ॥ प्रतिकहब
सर्व नमन। एक ही यह
विरतीय सान
रुप संपरा के गदे 9500
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मसुम संपरा एवं नगरं सुमादेव सतरमा पगडी तोति तं श्रालिखिणाणावर
x. बोहिय ४१
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