Book Title: Sagarmal Jain Abhinandan Granth
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshwanath Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ ACHARYA PADMA SAGAR SURI Cio Saryay at 2942. Katra Khusiai Rai Kisan Bazar.Delhi-110006 Py 3:2687773280777 - Fax 3254737 14-3-98 श्री नृपराजजी जैन, अध्यक्ष, पार्श्वनाथ विद्यापीठ हीरक जयन्ती समारोह, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, आई.टी.आई. मार्ग, करौंदी, वाराणसी - २२१ ००५ धर्मलाभ, पार्श्वनाथ विद्यापीठ हीरक जयन्ती समारोह आयोजित करने के लिए आपको बधाई है। इस अवसर पर डा. सागरमल जी जैन का अभिनन्दन करने की योजना भी बनाने के लिए आप विशेष प्रशंसा के पात्र हैं। डा. सागरमल जी दीर्घकाल से जैन दर्शन व साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत हैं। अपने अथक परिश्रम व अटूट लगन से उन्होंने हमारी साहित्यिक धरोहर को शोध के माध्यम से एक नया दृष्टिकोण देने का जो भागीरथ प्रयत्न आरम्भ किया है वह जैन समाज के ही नहीं समस्त मानव समाज के हित को साधने की ओर एक सराहनीय कदम है। इस स्तर के विद्वान का अभिनन्दन समाज के ही गौरव में अभिवृद्वि करता है। ऐसे प्रेरणादायक आयोजन समय-समय पर होते ही रहने चाहिए। मेरी शुभाशंसा है कि इस मनीषी की ज्ञान साधना इत्नी विकसित हो कि आत्म-साधना के आयाम को छू सके। भवदीय पस पद्मसागर सूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 974