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युग पुरुष तुम्हें शत-शत वन्दन
तुम अभिनव युग के नव विधान,
रूढ़ बन्धनों के मुक्ति गान, हे युग-पुरुष, हे युगाधार, अभिवन्दन है, शत-शत वन्दन!
ज्ञान-ज्योति की ज्वलित ज्वाला,
आत्म-साधना का उजाला, हे मिथ्या-तिमिर अभिनाशक, अभिवन्दन है, शत-शत वन्दन!
तुम नव्य नभ के नव विहान,
नई चेतना के अभियान, श्रमण संस्कृति के अमर-गायक, अभिवन्दन है, शत-शत वन्दन!
अतीत युग के मधुर गायक,
अभिनव युग के हो अधिनायक, नूतन-पुरातन युग शृङ्खला, अभिवन्दन है, शत-शत वन्दन!
तू पद-दलितों का क्रान्ति-घोष,
अबल-साधकों का शक्ति-कोष, हे क्रान्ति-पथ के महापथिक, अभिवन्दन है, शत-शत वन्दन!
--विजय मुनि, शास्त्री
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