Book Title: Rushidatta Charitra Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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३०८]
[ ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥
एवं सा रिसिदत्ता तावसवेसेण सुत्थिया वसइ । एत्तोय ती विरहे कणगरहो जायरणरणओ ॥ २९९ ॥ न लहइ र निसाए न य दिवसे न य गिहे न विय सयणे । न य कीलावावीए न य उज्जाणे न यत्थाणे ॥ २९२ ॥ नय कीलइ न य भुंजइ न सुयइ न कुणइ कलाणमब्भासं । नवरं हसइ वियंभइ गायइ रोयइ नियइ सुन्नं ॥२९३॥ नावेक्खड़ गय-तुरए न कुणइ गुरु-जणय-जणणिपडिवत्तिं । नवरं सुमरिय दइयं कुणइ पलावे विविहरूवे ॥२९४॥ हा तारुन्नयसिहिणे ! हा ससिवयणे ! सरोयदलनयणे ! । कलकंठिमहुरवयणे ! वित्थयरमणे ! ललियगमणे ! ॥ २९५ ॥ नियरूवविजियविलए ! रमणीतिलए ! समग्गगुणनिलए ! । हरिसेणजणयदइए ! तं दइए ! कत्थ दच्छीहं ? ॥२९६ ॥ अम्मा-पिऊहिं किच्छेण कारिओ पत्थुयं सरीरठि । अच्छइ तहेव तग्गयचित्तो परिचत्तवावारो ॥ २९७॥ एतो कावेरीओ सुंदरपाणिस्स संतिओ दूओ । संपत्तो सो संपइ देवाहं पेसिओ पहुणा ॥ २९८ ॥ भणियं च तेण एसा मह कन्ना रुप्पिणी महाराय ! । पुरिसंतरस्स सुंदर ! सुविणे वि न गिण्हए नामं ॥ २९९॥ रन्ना भणियं कुमरो तावसकन्नं विवाहिउं वलिओ । सा पंचत्तं पत्ता संपइ तह तं भणिस्सामि ॥ ३०० ॥ जह तुज्झ सुयं परिणइ मा एयं अन्नहा वियप्पेसु । इ भणिऊणं दूओ विसज्जिओ हेमरहरन्ना ॥ ३०१॥ तत्तो कुमरो भणिओ मंचसु सोयं समुज्झसु विसायं । नट्ठविणट्ठे कज्जे गरुया एवं न सोयंति ॥ ३०२ ॥ ता वच्चसु तुममिहिं कावेरीए विवाहिउं कन्नं । आगच्छ वच्छ ! पच्छा परिचितसु रज्जकज्जाई ॥ ३०३ ॥ उवरोहसीलयाए संचलिओ सबलवाहणो कुमरो । हियए समुव्वहंतो रिसिदत्तं देवयं व सया ॥ ३०४॥ पत्तो कयवयदिवसेहिं तं वणं जत्थ आसि रिसिदत्ता । तव्विरहे तं चेव य उव्वेयकरं मसाणं व ॥ ३०५ ॥ एत्थंतरम्मि फुरियं दाहिणनयणेण तस्स कुमरस्स । नायं च तेण सूयइ पियमेलयमेयमुत्तं च ॥३०६॥ सिरफुरणे किर रज्जं पियमेलो होइ अच्छिफुरणम्मि । बाहुफुरणम्मि पियजणभुयालयालिंगणं जाण ॥३०७॥
D:\chandan/new/datta-p/pm5\2nd proof

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