Book Title: Rushidatta Charitra Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 418
________________ [ऋषिदत्ताचरित्रसंग्रहः ॥ [ ] [नैष.५/१२९] [अ.क.२/२] [ ] [अ.क./५/३] ४४-२/१४६ १६३-३/८२ १८३-३/३३० १८२-३/३१४ २१६-४/९६ ३४४] [च] चंदस्स खओ न हु चर्म वर्म किल यस्य चर्माऽस्थि-मज्जाऽऽन्त्रचलं चित्तं चलं वित्तं चेद् वाञ्छसीदमवितुं [ज] जं अज्जियं चरितं, जंतेहिं पीलिया वि हु, जइ णं भंते ! सत्तरसमस्स जणणी जम्मभूमी य, जत्थ गिहि ह)त्थभासाहिं, जम्मं दुक्खं जरा दुक्खं, जम्मंतीए सोगो, जया ओहाविओ होइ, जया य कुकुडंबस्स, जया य थेरओ होइ, जया य पूइमो होइ, जया य माणिमो होइ, जया य वंदिमो होइ, जरा-मरणकंतारे, जह वणदवो वणदवदवस्स, जहा अग्गिसिहा दित्ता, जहा इहं अगणी उण्हो जहा इहं इमं सीयं, जहा किंपागफलाणं, जहा कुसग्गेणुदयं, जहा गेहे पलित्तम्मि, जहा तुलाए तोलेउ, जहा दुक्खं भरेउं, जहा भुयाइं तरिउं जहा य किंपागफला मणोरमा, जारिसा माणुसा लोए, [सं.सि./६८] [उप.मा./४२] [ना.ध./अ.१७] [ ] [ग.प./१११] [ उत्त./१९-१६] [गा.स./८११] [ द.वै.चू.१/४८३] [ द.वै.चू.१/४८८] [ द.वै.चू.१/४८७] [ द.वै.चू.१/४८५] [ द.वै.चू.१/४८६] [द.वै.चू.१/४८४] [उत्त./१९-४७] [उप.मा./१३२] [उत्त./१९-४०] [उत्त./१९-४८] [उत्त./१९-४९] [उत्त./१९-१८] [उत्त./७-२३] [उत्त.१९-२३] [ उत्त./१९-४२] [उत्त./१९-४१] [उत्त./१९-४३] [उत्त. /३२-२०] [उत्त./१९-७४] २२७-४/२१३ २१९-४/१३९ २०८ १५२-२/२३७ २२६-४/२०० २२३-४/१६२ ११४-१/६५ १२२-१/१६२ १२२-१/१६७ १२२-१/१६६ १२२-१/१६४ १२२-१/१६५ १२२-१/१६३ २२४-४/१८४ २२६-४/२०४ २२४-४/१७७ २२४-४/१८५ २२४-४/१८६ २२३-४/१६४ २१७-४/११५ २२३-४/१६९ २२४-४/१७९ २२४-४/१७८ २२४-४/१८० २१८-४/११६ २२५-४/१८९ D:\chandan/new/datta-p/pm5\2nd proof

Loading...

Page Navigation
1 ... 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436