Book Title: Rushidatta Charitra Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 391
________________ परिशिष्टम् [२] ऋषिदत्ताख्यानकम् ॥] [३१७ ट्ठण तयं सुमिणं निवेयए निवइणो पहिट्ठमणा । सो वि य गरुयपरक्कमसुयलाभेणं सुहावेइ ॥४४२॥ तत्तो नवण्ह मासाणमुवरि अद्धट्ठमाण य दिणाण । उच्चट्ठाणगएसुं गहेसु सुपसत्थदिवसम्मि ॥४४३॥ विष्फुरियतेयपब्भारपयडियासेसदिसिवहूवयणं । पुव्वदिसारविबिंबं व्व सा पसूया सुयं देवी ॥४४४॥ वद्धाविओ य पियवयणियाए दासीए कणगरहराया । दाऊणं तीए निवो वंछाअइरित्तवसुदाणं ॥४४५॥ कारावइ नयरम्मि कुमारजम्मम्मि गरुयरिद्धीए । पडहयपयाणपुव्वं वद्धावणयं पुहइनाहो ॥४४६॥ तं च केरिसं? - वज्जिरगहिरमणोहरतूरारवमुहलु, जहिं नवरंगयनिवसणु नारीयणु सहलु । रभसपणच्चिरसुंदरवारविलयनिवहु, जहिं सवु सम्माणिज्जइ नायरजणु सवहु ॥४४७॥ ठाँवि ठाँवि जहि गिज्जइ चच्चर सवणसुह, मग्गि मग्गि मग्गिज्जहिं जहिं नरवइ पमुह । भवणि भवणि उब्भिज्जहिं जहिं जूवय-मुसल, पइ पइ जहिं पूइज्जहि सत्था-ऽऽगमकुसल ॥४४८॥ वंदणमालालंकिय तोरण जहिं सहहिं, वत्था-ऽऽहरण परोप्पर जहिं नायर लहहिं । चट्टथट्ट जहिं दीसइ तेल्लचुयंतसिर, वद्धावणउं तं वन्निउ सक्कहिं कवण किर? ॥४४९॥ 'जीव नंदय नंदय' रख सुव्वहिं जहिं वयण, जहिं संतुटुउ नरवइ वियर रह रयण । अभयदाणु जहिं दिज्जइ मणह सुहावणउं, तं तहिं हरिसिं वित्तउं निरु वद्धावणउं ॥४५०॥ एवं वद्धावणए सुहेण वित्ते सुहम्मि दिवसम्मि । सीहरहो त्ति विइन्नं कुलविद्धाहिं कुमरनामं ॥४५१॥ एवं सो पइदिवसं वित्थयकुलनहयलम्मि वईतो । चंदो व्व सुक्कपक्खे सयलजणाणंदणो कुमरो ॥४५२॥ विज्जागहणसमत्थो संजाओ अटूवरिसपरिमाणो । लेहायरियसयासे कलाण सव्वाण पारगओ ॥४५३॥ अह अन्नया य राया रिसिदत्ताए पियाए परियरिओ । पासायोवरि वायायणम्मि लीलाए ललइ सुहं ॥४५४॥ पेच्छइ य गयणभागे सुहुमं सम्मुच्छियं जलयखंडं। पच्छा विद्धि पत्तं तहेव रन्नो नियंतस्स ॥४५५॥ पणवन्नरुहरवत्तावयवं मण-नयणसुहयरं जायं । दीसइ नहलच्छीए कंचुयलीलं विडंबंतं ॥४५६॥ तत्तो पेच्छंतस्स वि पयंडपवणाहयं कुओ वि गयं । पुच्छइ देविं दइए ! दिटुं फुडमिंदियालमिमं ॥४५७॥ D:\chandan/new/datta-p/pm5\2nd proof

Loading...

Page Navigation
1 ... 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436