Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 2
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 214
________________ २०५ छायासीइमो संधि घत्ता जेण जुहिट्ठिलु अज्जु तिक्ख-खुरुप्पेहिं कप्पमि। वसुमइ णीसावण्ण दुज्जोहणहो समप्पमि ।। तो कोवग्गि-वसारुणिभूएं वाहिउ संदणु सल्लहो सूएं ताव राउ परिवारिउ पत्थें भीमें भीम-गयासणि-हत्थे धट्ठज्जुण-सिहंडि-जुजुहाणेहिं अवरेहि-मि एक्केक-पहाणेहिं विहि-मि परोप्परु भारह-मल्लहं रणु पडिलगु जुहिट्ठिल-सल्लहं खय-रवि-विंव-समप्पह-वयणहं जलण-जाल-मालारुण-णयणहं दुव्विस-विसहर-विस-मालावहं दिढ-भुयदंडायड्डिय-चावहं सरवर-लिहिय-पिहिय-गयणयलहं भूय-णिणाय-भरिय-गयणयलहं तूर-णिणाय-भरिय-गयणयलहं धयदंडुब्भिय-सीयाइंदहं सुरवहु-णयण-भमर-मयरंदहं ++++++++++++++ घत्ता जाउ महाहउ घोरु हण-हण-सढुण थक्कइ। अच्छइ सुरवर-लोउ जमु-वि ण जोएवि सक्कइ । [८] सल्ल-जुहिट्ठिल किव-धज्जुणु वे-वि तिगत्त महाहवे अज्जुण भिडिय परोप्परु जाइय जुज्झई भग्गाउह-पडिलग्ग-णिजुज्झइं मद्दाहिवउ हउ सहएवं अवरहो अवर ढुक्कु विणु खेवें अवरें अवरु पिसक्केहिं पूरिउ .. अवरें अवरहो रहु संचूरिउ ४ अवरें अवरहो छिण्णु महद्धउ अवरें अवरु समरे ओट्ठद्धउ जुज्झई एम अणेयई जायइं जले जलयर-हिय-णिम्मजायइं ताम विओयरु धाइउ सल्लहो णं एक्वेक्कु कोलु एक्कल्लहो लउडि-महाहउ जाउ भयंकरु सिहि-जालोलि-झुलुक्किय-सुरवरु ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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