Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 2
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 236
________________ २२७ अट्ठासीइमो संधि [९] [दुवई] अद्भुम्मिल्ले मउडे पंडव-वले दिण्णइं तूर-लक्खइं। पडह-मुइंग-संख-दडि-काहल-गोमुह-डंवरक्खइं ॥ जिह गयउरे वसुमइ भुंजंतहो तिह एवंहि-मिलील-णिग्गंतहो तूरइं ताइं ते जि सुहि पंडव धवल-धयायवत्त-किय-मंडव ते करि-मयर-मत्त तंवेरम ते धयरट्ट-जाय सु-मणोरम ते तरंग-तुरंगग्ग-तुरंगम ते ओहार महारह उत्तम ताई सेय-सयवत्तई छत्तई धवल-वलाया-चामर-छत्तई ते परिभमिर-भमर सरे गायर ते जलयर किंकर वस भायर तं सु-मणोरहु सरवर-राउलु सगुण-सयण-जण-जणिय-रमाउलु ८ एम तरंतु तरंतु विणिग्गउ माणस-सरहो णाई सुर-वर-गउ घत्ता सहुं कमलेहिं कुरुवइ मुह-कमलु रय-सियालि-परिचुंवियउं। णं पुण्णिम-इंदु-विवु थियउं तारा-रिक्ख-करंवियउं । [१०] [दुवई] णिग्गउ कुरु-णरिंदु वंचंतु असेसई वइरि-सेण्णइं। कइकय-करुस-कासि-सिवि-सोमय-सिंजय-गण-वरेण्णई ।। जिह गउ गय-जूहई अइसंधेवि धाइउ पवण-पुत्ते लउ वंधेवि परिवड्डिय-रण-रहसुच्छाहें तो वोल्लाविउ पंडव-गाहें अम्हई वहुयई तुहुँ एक्कल्लउ खत्तिय-धम्मु कहि-मि णउ भल्लउ ४ अज्जु-वि तुहं जे राउ महि भुंजहि अज्जु-वि णिरवसेसु जसु पुंजहि अज्जु-वि ते तुरंग ते गयवर अज्जु-वि ते णरिंद ते रहवर अज्जु-वि ते-वि भिच्च हियइच्छा अज्जु-वि अम्हइं आणपडिच्छा अज्जु-वि तं गयउरु सुहगारउ अज्जु-वि तं वइसणउ तुहारउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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