Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 2
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 259
________________ २५० सत्त वार पण्णारह वासरे वारह मास सट्टि संवच्छरे . वारह रासिणवंसय-वत्तई सत्तावीस जोय-णक्खत्तई घत्ता आयइं अंतरवत्तियउ णासइ उप्पज्जइ जीउ। खणे उल्हाइ खणे पजलइ जिह भवणहो मज्झे पईवउ॥ ११ [१३] लोयालोय-पमाण-पगासहो थिउ तइलोक्कु मज्झे आयासहो तंतिवाय-वलएण णिवद्धउ पुक्खर-भंडहं कक्कर-वद्धउ उद्धु चउद्दह रज्जु-पमाणे दिङ् जिणिंदहो केवल-णाणे सत्त एग पंचेग विसालउ पुग्गल-जीवरासि-परिपालउ हेट्ठिम-मज्झिम-उवरिम-भाएहिं । णारय-गर-सुर-सासय-थाएहिं वेत्तासण-झल्लरि-संकासेहिं मुरव-मज्झ-छत्त-संकासेहिं तहो मत्थए थिय सिद्ध भडारा पुण्ण-पवित्त सुमंगल-गारा घत्ता अक्खय अव्वय जीव घण अगरुग-लहु अव्वावाहें। जेण पमाणेहिं सिद्धि गय थिय तेण पमाणे णाहें। ८ [१४] अइ-सुहयहो परिवड्डिय-णेहो अत्तागमणु ण गम्मइ देहो जइ गम्मइ तो असइ अणेयहिं णिरु णिट्टीवण-वमण-विरेयहिं सव्वहं जगे सरीरु अपवित्तउ तमि असरीरु तेण जं छित्तउ ताम महीयले अब्भुरुहुल्लई जाम ण अभिडंति सिरे फुल्लई भोयणु ताम महग्घु विसिट्ठ जावं ण दंत-पंति परिचिट्ठउ ताम सुवंधई आवण-दव्वई जाम सरीरे भिडंति ण सव्वई ताम मणोहराइं वर-वत्थई जाम ण णारि णरेहिं णियच्छइ पाणिउ ताम पवित्तु विसिट्ठउ जाम ण णह विहुरेहिं पइट्ठउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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